Satuani 2023: क्या है सतुआन का पर्व, कहां और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार

आज के दिन यानी 14 अप्रैल को सतुआन का पर्व मनाया जा रहा है. झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में इस त्योहार को मनाया जाता है. इस दिन सत्तू को इष्ट देवता को अर्पित किया जाता है और उसके बाद प्रसाद के तौर पर इसे खाया जाता है.

यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में सतुआन का पर्व मनाया जाता है (Photo/Instagram)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

मेष संक्रांति के दिन ही सतुआन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करता है. उत्तर भारत के कई राज्यों में इसे सतुआन के तौर पर मनाया जाता है. बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्से में सतुआन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सत्तू को उनके इष्ट देवता को अर्पित किया जाता और प्रसाद के तौर पर सत्तू का सेवन किया जाता है.

क्या होता है सतुआन पर्व में-
मेष संक्रांति को ही कई राज्यों में सतुआन पर्व के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन सत्तू खाने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. मिट्टी के बर्तन में पानी, गेहूं, जौ, मकई और चना का सत्तू रखा जाता है. इसके साथ आम का टिकोरा भी रखा जाता है और भगवान को भोग लगाया जाता है. इसके बाद प्रसाद के तौर पर सत्तू खाया जाता है. झारखंड, यूपी और बिहार के कई इलाकों में गर्मी के मौसम में दोपहर में सत्तू खाने का रिवाज है. सत्तू को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है.

क्यों मनाया जाता है यह पर्व-
सतुआन का पर्व बैसाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को सतुआन का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी कर लेते हैं. आम तौर पर हर साल सतुआन का पर्व 14 या 15 अप्रैल को ही मनाया जाता है. इस बार आज यानी 14 अप्रैल को सतुआन का पर्व मनाया जा रहा है.
गर्मी के मौसम में सत्तू का सेवन करना लाभदायक होता है. इससे गर्मी के प्रभाव और लूट की चपेट में बचा जा सकता है. सत्तू के इस्तेमाल से लू का खतरा कम होता है. सत्तू से शरीर पर ठंडक रहती है. इसके अलावा अगर आपको बार-बार भूख लगती है और आप लंबे समय तक भूखे नहीं रह सकते हैं तो सत्तू आपके लिए फायदेमंद है.

सतुआन की पूजा विधि-
सतुआन पर्व के एक दिन पहले मिट्टी के घड़े में जल को ढंककर रखा जाता है. उस जल को सतुआन के दिन पूरे घर में छिड़काव किया जाता है. माना जाता है कि बासी जल के छिड़काव से घर और आंगन शुद्ध हो जाता है. इस दिन बासी खाना खाने की भी परंपरा है.

कहां मनाया जाता है सतुआन का पर्व-
सतुआन का पर्व झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्से में मनाया जाता है. इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी इस त्योहार को मनाया जाता है. बिहार के मिथिलांचल में इसे जुड़शीतल पर्व के नाम से मनाया जाता है. इस दिन से ही मिथिला में नए साल की शुरुआत होती है.

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