25 दिसंबर का दिन जहां लोग क्रिसमस धूमधाम से मनाते हैं वहीं सिख समाज के लोग इससे पूर्व दिवस को या यूं कहें इस पूरे सप्ताह को शहीदी के रूप में मनाते हैं. विशेष रुप से सिख समाज के लिए यह महीना और यह हफ्ता खास महत्व रखता है.
देश और धर्म के लिए गुरु गोविंद सिंह ने दे दी थी बच्चों की कुर्बानी
सिख समाज के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का शहीदी दिवस इसी महीने में मनाया जाता है. 24 दिसंबर सिख समाज के लोग इसे शहीदी दिवस के रूप में मनाते हैं. सिख समाज में इस दिन का विशेष महत्व होता है. गुरु गोविंद सिंह ने अपने बच्चों की कुर्बानी इसी हफ्ते अपने देश और धर्म के लिए दे दी थी.
शुक्रवार को गाजियाबाद के राजनगर इलाके में इस मौके पर शहीदी दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें छोटे बच्चों ने भाग लिया और गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान को याद किया. गुरु महिमा और अरदास के साथ इस महान बलिदान को इस तरह से याद किया गया.
ये है कहानी
बता दें कि औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह जी के समय में उनसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा. उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लाम धर्म धारण नहीं किया और तमाम जुल्मों का पूरी दृढ़ता से सामना किया. तभी औरंगजेब ने उनके परिवार और बच्चों सहित उनका सिर कलम करने का हुक्म जारी कर दिया. तभी से सिख समाज इसे शहीद दिवस के रूप में मनाता है. आपको बता दें कि दिल्ली का शीश गंज गुरुद्वारा इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहां औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह जी का और परिवार का शीश काटने का आदेश दिया था. गुरुद्वारे से उनकी अंतिम यात्रा निकली थी.