Navratri 2022 Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन होगी मां कालरात्रि की पूजा, हर बुराई से भक्तों की रक्षा करती हैं देवी

Navratri 2022 Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सबसे क्रुर रूप मां कालरात्रि की पूजा होती है. मां कालराक्षि राक्षसों का काल हैं और हर बुराई से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं.

Maa Kalratri (Photo: https://maavaishno.org/)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 02 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 7:26 AM IST
  • सप्तमी को मां कालरात्रि का पूजन करते हैं
  • शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं मां कालरात्रि

नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में देवी दुर्गा के भक्तों द्वारा मनाया जा रहा है. नौ दिन का यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है क्योंकि देवी शक्ति ने इस दौरान राक्षस महिषासुर का वध किया था. इस त्योहार का प्रत्येक दिन शक्ति के नौ अवतारों को समर्पित है, और उन्हें नवदुर्गा कहा जाता है. 

षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा करने के बाद नवरात्र के सातवें दिन या सप्तमी को मां कालरात्रि का पूजन करते हैं. 

कौन हैं मां कालरात्रि?
ऐसा माना जाता है कि जब देवी पार्वती ने राक्षसों को मारने के लिए अपने स्वर्ण रूप को त्याग काली रूप धरा तो उन्हें देवी कालरात्रि के नाम से जाना गया. कालरात्रि मां दुर्गा का सबसे क्रूर रूप है. उनका रंग सांवला हैं, वह गधे की सवारी करती हैं, और गले में खोपड़ियों की माला पहनती हैं और उनके चार हाथ हैं. 

उनके दाहिने हाथ अभय (रक्षा) और वरद (आशीर्वाद) मुद्रा में हैं, और वह अपने बाएं हाथों में तलवार और लोहे के धातु से बना कांटा रखती हैं. उनका नाम दो शब्दों से बना है - काल का अर्थ है मृत्यु और रात्रि का अर्थ अंधकार है. इस प्रकार, कालरात्रि वह है जो 'अंधेरे की मृत्यु' लाती हैं.

मां कालरात्रि की कथा:
हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब शुंभ और निशुंभ ने चंड, मुंड और रक्तबीज की मदद से देवताओं को हराया, तो इंद्र और अन्य देवताओं ने देवी पार्वती से प्रार्थना की. उन्होंने इन राक्षसों को मारने के लिए देवी चंडी की रचना की. देवी चंडी ने अन्य राक्षसों को मार डाला, लेकिन वह चंड, मुंड और रक्तबीज को नहीं हरा सकीं. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने राक्षसों को खत्म करने के लिए अपने माथे से मां कालरात्रि की रचना की थी. 

मां कालरात्रि ने चंड और मुंड का वध किया, लेकिन रक्तबीज को हराना मुश्किल था. रक्तबीज को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि उसके खून की हर बूंद जमीन पर गिरकर उसके रूप में बदल जाएगी. ऐसे में, उसकी हर बूंद से नया रक्तबीज जन्म लेने लगा तो निडर होकर मां कालरात्रि ने रक्तबीज का खून ही पीना शुरू कर दिया और इस तरह मां ने रक्तबीज का वध किया. 

नवरात्रि 2022 के सातवें दिन की पूजा विधि:
सप्तमी के दिन भक्तों को जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और नए कपड़े पहनने चाहिए. मां कालरात्रि को गुड़ का भोग या गुड़ से बने व्यंजन और रात में खिलने वाली चमेली का भोग लगाना चाहिए. उपासक सप्तमी की रात को मां को सिंदूर, काजल, कंघी, बालों का तेल, शैम्पू, नेल पेंट और लिपस्टिक लगाकर भी श्रृंगार पूजा कर सकते हैं. 

नवरात्रि 2022 के सातवें दिन का महत्व:
मां कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं, अपने भक्तों के जीवन से ग्रह के हानिकारक प्रभावों को समाप्त करती हैं और उन्हें खुशियां देती हैं. वह उन्हें सभी बुराइयों से बचाती हैं, और बाधाओं और दुखों को दूर करती हैं. नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा की जाती है क्योंकि वह सभी अंधकारों को नष्ट कर देती हैं और दुनिया में शांति लाती हैं.

माँ कालरात्रि के पूजा मंत्र:
1) ओम देवी कालरात्रयै नमः

2) एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

 

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