Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से, हाथी पर सवार होकर आ रहीं माता रानी, जानें कलश स्थापना की विधि और शुभ मुहूर्त

Worship of Maa Durga: पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाएगी.

15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 6:10 PM IST
  • नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की होती है पूजा 
  • 24 अक्टूबर को है विजयादशमी  

Durga Puja 2023: इस साल शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ रविवार 15 अक्टूबर से हो रहा है. इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन कलश स्थापना के साथ माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. आइए कलश स्थापना की विधि और शुभ मुहूर्त जानते हैं. 

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 15 अक्टूबर को रात 12 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि इस बार 15 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी. 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा. हालांकि 15 अक्टूबर को प्रात: काल में चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के दो-दो चरण संपूर्ण हो जाएंगे. ऐसी स्थिति में घटस्थापना प्रातः काल भी कर सकते हैं. 

घटस्थापना में रखें इन बातों का ख्याल
घट स्थापना यानी मिट्टी का घड़ा, चांदी, अष्ट धातु, पीतल या आदि धातु का कलश इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर इसमें जौ डालें फिर एर परत मिट्टी की बिछाए एक बार फिर जौ डालें. फिर से मिट्टी की परत बिछाएं. अब इस पर जल का छिड़काव करें. इसके बाद इसे स्थापित कर दें. घटस्थापना करने से पहले लकड़ी के टुकड़े पर एक पाट रख दें. 

इसके बाद इसपर एक लाल कपड़ा बिछाकर इसपर घट स्थापित करें. घट पर रोली या चंदन से स्वस्तिक जरूर बनाएं. घट के गले में कलावा बांधे. कलश के नीचे थोड़ा से चावल जरूर डालें और कलश के अंदर सिक्का, सुपारी, पंचपल्लव (आम के पत्ते), सप्तम मृतिका (मिट्टी), डाल दें. मिठाई, प्रसाद घट के आसपास रखें. सबसे पहले गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें.

महाष्टमी, महानवमी और विजयादशमी को पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 
1. महाष्टमी को माता महागौरी के पूजन व पुष्पांजलि के लिए शुभ मुहूर्त: सुबह 7:12 से 11:53 बजे व 12:57 से 2:20 बजे तक. संधि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त : संध्या 5:01 से 5:49 बजे तक, बलि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त: संध्या 5:25 बजे.
2. महानवमी को माता सिद्धिरात्रि का पूजन, कुमारी पूजन, नवरात्र के निमित्त हवन के लिए शुभ मुहूर्त: सुबह 8:39 से 10:03 बजे तक, 11:08 से 11:52 बजे व 12:56 से 3:19 बजे तक. 
3. विजयादशमी को पूजन, शमी अपराजिता पूजन, शस्त्र पूजन व विजय मुहूर्त के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 8:39 से दोपहर 12:48 बजे तक है.

पूजा सामग्री की लिस्ट
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, शृंगार का सामान, दीपक, घी तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा या फोटो,
पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, फल-मिठाई, कलावा.

पूजा विधि
1. सुबह उठकर स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें.
2. घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें.
3. मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.
4. मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
5. धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें.
6. मां को भोग भी लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग
लगाया जाता है.

नवरात्र एक नजर में
प्रथम दिवस: रविवार, 15 अक्टूबर को कलश स्थापना व माता शैलपुत्री का पूजन.
द्वितीय दिवस: सोमवार, 16 अक्टूबर को माता ब्रह्मचारिणी का पूजन.
तृतीय दिवस: मंगलवार, 17 अक्टूबर को माता चंद्रघंटा का पूजन.
चतुर्थ दिवस: बुधवार, 18 अक्टूबर को माता कुष्मांडा का पूजन 
महापंचमी: गुरुवार, 19 अक्टूबर को माता स्कंदमाता का पूजन.
महाषष्ठी: शुक्रवार, 20 अक्टूबर को बिल्व अभिमंत्रण, माता कात्यायनी का पूजन.
महासप्तमी: शनिवार, 21 अक्टूबर को पत्रिका प्रवेश, माता कालरात्रि का पूजन.
महाष्टमी: रविवार, 22 अक्टूबर को नवरात्र व्रत, माता महागौरी का पूजन.
महानवमी: सोमवार, 23 अक्टूबर को माता सिद्धिरात्रि का पूजन.
विजयादशमी: मंगलवार, 24 अक्टूबर.

शुभ है मां का गज पर आना 
धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार यदि नवरात्र सोमवार या रविवार से शुरू हो रहा है तो मां का वाहन गज (हाथी) होता है. स्पष्ट है इस बार मां गज पर आ रही हैं. मां का गज पर आना शुभ माना जाता है क्योंकि सनातनी परंपरा और अनुष्ठान में गज का विशेष महत्व है. भगवान गणेश का मुख हाथी का सूंड है. शादी-विवाह के मौके पर भी हाथी का प्रतीक चिह्न रखा जाता है. मां का गज पर आगमन से देश-दुनिया में खुशहाली रहेगी. सुख और समृद्धि का साम्राज्य रहेगा. इसलिए मां का आगमन शुभ माना जा रहा है.

कुकुट पर होगा प्रस्थान 
नौ दिनों तक पृथ्वी लोक में रहने के बाद 10वें दिन मां कैलाश के लिए प्रस्थान कर जाती हैं. मां दुर्गा रविवार और सोमवार को अगर पृथ्वी लोक से प्रस्थान करती हैं, तो भैसे पर सवार होकर जाती हैं. मंगलवार और शनिवार को प्रस्थान करने पर कुकुट (मुर्गे) की सवारी करती हैं. बुधवार और शुक्रवार को प्रस्थान करने पर गज की सवारी होती है. गुरुवार को प्रस्थान करने पर मनुष्य की सवारी होती है. इस बार दसमी तिथि मंगलवार को पड़ रही है. इसलिए मां कुकुट पर सवार होकर जाएंगी.


 

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