Sawan 2022: सावन के महीने में अपने ससुराल क्यों आते हैं भगवान शिव...शिवरात्रि पर भूलकर भी न करें ये गलतियां

सावन के महीने में शिव की पूजा का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस महीने शिव जी कैलाश छोड़कर पूरे परिवार के साथ अपने ससुराल हरिद्वार आते हैं.

Sawan Somwar
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:34 PM IST
  • ससुराल आते हैं भगवान शिव
  • सावन में शिव पूजा का विशेष महत्व

वैसे तो भगवान किसी भी समय पूजा-पाठ से ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन अगर शिव जी को प्रसन्न करना है तो सावन का महीन सबसे सही समय है. ऐसी मान्यता है कि अगर सावन के महीने में कोई भी श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ भोलेनाथ की आराधना करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. इस बार सावन 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. कहते हैं कि अगर भक्त अपनी भक्ति से भोले बाबा को प्रसन्न कर ले तो उसके सभी पाप धुल जाते हैं.

सावन में धरती पर आते हैं शिव
ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में शिव जी कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं और यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ अपने सुसराल यानी हरिद्वार आते हैं. हरिद्वार के कनखल में भगवान शिव का ससुराल है. यहां स्थित दक्ष मंदिर में भगवान शिव और माता सति से विवाह के बंधंन में बंधे थे.

हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि होती है लेकिन सावन की शिवरात्रि का अलग ही महत्व है. सावन की शिवरात्रि इस बार 26 जुलाई को पड़ रही है. इस दौरान पूजा के समय कई ऐसे कार्य हैं जोकि वर्जित माने जाते हैं. आइए आपको उनके बारे में बताते हैं.

सावन शिवरात्रि व्रत में न करें ये काम

शिव जी भूलकर भी न चढ़ाएं तुलसी पत्र. शिव जी को भांग, धतूरा आदि चढ़ाया जाता है लेकिन उनका भोग लगाते समय  ध्यान रहे कि उसमें तुलसी पत्ता न पड़ा हो. तुलसी को भगवान व‌िष्‍णु ने पत्नी रूप में स्वीकार क‌िया है इस वजह से भगवान भोलेनाथ को तुलसी नहीं चढ़ती है.
शिवरात्रि के व्रत वाले दिन खट्‌टी चीजों का सेवन न करें. इससे व्रत का पूरा फल नहीं मिलता है.
पूजा में भोलेनाथ को केतकी का फूल, सिंदूर, हल्दी, कुमकुम अर्पित न करें.
शिवजी को हमेशा ताबें के बर्तन से ही जल अर्पित करें. पूजा में शिव जी को दूध अर्पित करने के लिए पीतल के लोटे के इस्तेमाल करना चाहिए.

 

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