Shri Kalaram Temple: 12 साल, 23 लाख रुपए, 2000 वर्कर... कालाराम मंदिर से जुड़े हैं श्रीराम और रामायण के तार, जानिए

महाराष्ट्र के नासिक का श्रीराम और रामायण से गहरा नाता है. यहां पर स्थित श्रीकालाराम मंदिर का भी अपार महत्व है और दुनियाभर से लोग यहां पर दर्शन के लिए आते हैं.

Shri Kalaram Temple
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 15 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST
  • 12 सालों में बना मंदिर 
  • मंदिर की मुख्य विशेषता 

वाल्मिकी द्वारा लिखी गई, श्री रामचरितमानस में ऐसी कई जगहों का वर्णन है जिनक पद्चिह्न आज के आधुनिक युग में भी मिलते हैं. सिर्फ अयोध्या ही नहीं बल्कि श्रीराम के कदम और जिन जगहों पर पड़े, वे जगहें भी आज मौजूद हैं. रामायण में पंचवटी का बहुत महत्व है, यह वह जगह थी जहां भगवान राम के वनवास के कुछ वर्ष बीते. रामायण का संपूर्ण अरण्य कांड पंचवटी में स्थापित है. 

लेकिन बहुत ज्यादा लोगों को नहीं पता कि पंचवटी, महाराष्ट्र के आधुनिक नासिक के पास ही है. यह शहर महाराष्ट्र के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में गोदावरी नदी के किनारे पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित है. हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. यह वह जगह है जहां राक्षस राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था और यह ऐतिहासिक कुंभ मेले के चार स्थलों में से एक है. हालांकि, आज यहां का मुख्य आकर्षण है श्रीकालाराम मंदिर. 

12 सालों में बना मंदिर 
गोदावरी नदी के तट के पास नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित, कालाराम मंदिर भगवान राम को समर्पित है और शहर के सबसे बड़े, प्रमुख और सबसे मनोरम मंदिरों में से एक है. विशाल परिसर में फैले इस मंदिर की सबसे आश्चर्यजनक विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से काले पत्थर से बना है. 

बताया जाता है कि साल 1790 में पेशवा के सरदार ओढेकर ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. यह पूरा मंदिर काले पत्थरों से बनाया गया है जो विशेष रूप से रामशेज पर्वत से लाए गए थे. इस खूबसूरत मंदिर को बनाने में 12 साल, 23 ​​लाख रुपये और 2000 मजदूर लगे. यह पूरा मंदिर काला है, सिर्फ इसके शिखर को छोड़कर जो 32 टन सोने से ढका हुआ है. 

मंदिर की मुख्य विशेषता 
मुख्य मंदिर में 14 सीढ़ियां हैं, जो राम के 14 वर्ष के वनवास को दर्शाती हैं. इसमें 84 स्तंभ हैं, जो 84 लाख प्रजातियों के चक्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें मनुष्य के रूप में जन्म लेने के लिए पूरा करना होता है. बताते हैं कि ओढेकर ने अपने सपने में काले रंग की रामजी की मूर्ति देखी जो गोदावरी नदी से मिली थी. इसके बाद उन्होंने यह मंदिर बनवाया. 

मुख्य गर्भगृह में भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण की काले पत्थर की मूर्तियां हैं. चूंकि भगवान की छवि काले रंग की है, इसलिए मंदिर को 'काला राम' के नाम से जाना जाता है. गर्भगृह के ठीक सामने भगवान हनुमान की मूर्ति है जो काले रंग की है और इस तरह स्थापित है कि वह अपने प्रिय स्वामी, भगवान राम के समक्ष विराजते हैं. 

पंचवटी का है पौराणिक महत्व 
यहां पांच (पंचम) बरगद के पेड़ (वट वृक्ष) हैं और इसलिए इस क्षेत्र को पंच-वटी कहा जाता है. यह वह जगह भी है जहां गोदावरी नदी पहाड़ों से निकलती है, और उसके किनारे पर कई मंदिर हैं. पंचवटी का रामायण में और हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान है.

पंचवटी, मध्य भारत में दंडकारण्य का एक हिस्सा है दो रामायण में भगवान राम के वनवास के दौरान प्रारंभिक निवास के रूप में महत्व रखता है. इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, जैसे रावण ने यहीं पर सीता मां का अपहरण किया था. जिसके बाद, श्री राम ने दक्षिण की ओर यात्रा की और फिर लंका के राजा रावण को युद्ध मे हराकर सत्य की स्थापना की. 

 

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