Ayodhya Mountain and Sita Kund: वनवास के दौरान इस जगह रुके थे श्रीराम, लक्ष्मण जी ने बनाया था सीता कुंड, आज देखने आते हैं सैकड़ों टूरिस्ट

अपने वनवास के दौरान श्रीराम, मां सीता और लक्ष्मण जी जिन-जिन स्थानों पर रुके थे उनके प्रमाण आज भी मिलते हैं. झारखण्ड और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में भी एक ऐसा स्थान मौजूद है.

Ajodhya Mountain
gnttv.com
  • जमशेदपुर ,
  • 18 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

झारखण्ड और बंगाल की सीमा के पास बसे पुरुलिया जिले का अयोध्या पहाड़ एक पौराणिक स्थल है. यहां श्री राम, अपने भाई लक्ष्मण और सीता जी के साथ वनवास के दौरान ढाई दिन के लिए रुके थे. राम जी के आगमन के बाद से इस जगह को अयोध्या पहाड़ के नाम से जाना जाता है. 

इस पहाड़ी में लक्ष्मणजी ने धनुष से ऐसा कुंड तैयार किया था जिसमें से सैकड़ों लोग पानी पी लें तब भी पानी कम नही होता है और न ही इस कुंड का पानी कभी सूखता है. यह कुंड श्रीराम के अस्तित्व का जीता जागता प्रमाण है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्रतिवर्ष आदिवासी शिकारी करने अयोध्या पहाड़ में सैकड़ों की तादात में पहुंचते हैं और इस कुंड के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं, जिसे आज लोग सीता कुंड के नाम से जानते हैं. 

वनवास के दौरान बनाया कुंड 
अयोध्या के राजा दशरथ पुत्र श्री रामचंद जी को 14 बर्ष की वनवास हुआ तब (त्रेतायुग) वह सीता मां और लक्ष्मण जी के साथ पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला अंतर्गत बाघमुंडी  के पहाड़ों में पहुंचे थे. रामायण के अनुसार, रामचंद्र जी ने कृतिवास आश्रम में विश्राम किया था, जिसका एक कुटीर आज भी देखने को मिलता है.

इस मंदिर में 365 दिन प्रदीप प्रज्जलित रहता है. आज  लोकाचार के अनुसार राम जी के वनवास आने के बाद से इस स्थान को अयोध्या के नाम से जानते हैं. इसे एक धार्मिक स्थान के रूप में देखा जाता है. इस पहाड़ को शांति की प्रतीक माना जाता हैं. आज अयोध्या पहाड़ में सैकड़ों पर्यटक देश-विदेश से घूमने पहुंचते है.

अयोध्या पहाड़ में कृतिवास आश्रम के पुजारी, शंभू नाथ महतो ने बताया कि समुंद्र तट से 2294 फीट ऊंचाई पर यह अयोध्या पहाड़ स्थित है, जो 1100 वर्ग क्षेत्रफल में फैला है. इस पहाड़ों में 78 गांव हैं, जो बहुल आदिवासी क्षेत्र माना जाता है. बताया जाता है कि त्रेतायुग में रामचंद्र जी ढाई दिन के यहां आए थे. साथ ही, बताते हैं कि यहां पर भ्रमण करते समय जब सीता मां को प्यास लगी तो लक्ष्मण जी ने धनूष बाण से कुंड बनाया. जिसे सीताकुंड कहा जाता है. इस सीता कुंड में सैकड़ों लोग अपनी प्यास बुझाते हैं. 

आज यहां पहाड़ पर आपको चीता, तेंदुआ, भालू, लोमड़ी, शियाल, हाथी के झुंड देखने मिलते हैं. अयोध्या पहाड़ में सैकड़ों डैम और जलाशय के साथ ही कई झरने स्थित हैं. जिसको देखने के लिए सालभर पर्यटक भ्रमण करने ओर घूमने पहुंचते हैं. 

(अनुप सिन्हा की रिपोर्ट)

 

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