इस वजह से शादीशुदा महिलाएं पहनती हैं चूड़ियां, जानिए

हिंदू धर्म और परंपरा में चूड़ियों का बहुत महत्व है. महिलाओं के लिए नंगे हाथ होना अशुभ माना जाता है. परंपरागत रूप से, शादीशुदा हिंदू महिलाएं हमेशा अपनी कलाई पर चूड़ियां पहनती हैं.

हिंदू धर्म में चूड़ियों का है खास महत्व
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST
  • महिलाओं के लिए नंगे हाथ होना अशुभ माना जाता है
  • सदियों से शादीशुदा हिंदू महिलाएं हमेशा अपनी कलाई पर चूड़ियां पहनती हैं.

भारतीय परंपरा के मुताबिक दुल्हनों के लिए चूड़ियां पहनना बेहद खास होता है. शादीशुदा महिलाओं का चूड़ियों से खास नाता है. दरअसल हिंदू धर्म में चूड़िया पहनना शुभ माना जाता है. चलिए जानते हैं . 

सोलह श्रृंगार का है हिस्सा

भारतीय मान्यताओं के मुताबिक केवल शादीशुदा महिलाएं ही चूड़ियां पहनती हैं. चूड़ियां दुल्हन के सोलह श्रृंगार का हिस्सा है. इसके अलावा हिंदू धर्म की देवियों को भी चूड़ियां ही चढ़ाई जाती हैं. शादीशुदा महिलाएं कांच, सोने या किसी  मेटल से बनी चूड़ियां पहनती हैं. चूड़ियां को पति की लंबी उम्र से भी जोड़ कर देखा जाता है. इतना ही नहीं अगर शादीशुदा महिला के हाथ की एक चूड़ी भी टूट जाए तो उसे अशुभ माना जाता है इसके साथ ही चूड़ियां सौभाग्य और समृद्धि का भी प्रतीक हैं. 

हिंदू धर्म में चूड़ियों की खासियत 

हर शादी में दुल्हन को सजाते संवारते वक्त उन्हें चूड़ियां पहनाई जाती हैं. भारत में ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां पर दुल्हन को चूड़ियां ना पहनाई जाती हों. दरअसल भारतीय परंपरा के मुताबिक चूड़ियों से शादीशुदा जिंदगी में प्यार बना रहता है. 

राज्य अलग और चूड़ियों का रंग भी अलग 

ज्यादातर राज्यों में दुल्हनें अलग-अलग रंग की चूड़ियां पहनती हैं. इसके पीछे भी एक वजह है 

बंगाली रिवाज

हर राज्य में शादी के रीति- रिवाज अलग होते हैं ,बंगाली शादी के रीति-रिवाज की बात करें तो बंगाली दुल्हनों को शंख की चूड़ी और एक लाल मूंगा चूड़ी पहनाई जाती है. जिसे शाखा पोला कहा जाता है.  वहीं दुल्हन के घर में जाने पर सास दुल्हन को गोल्ड प्लेटेड आयरन बैंगल गिफ्ट में देती है. 

दक्षिण भारत

भारत के दक्षिण में  सोने को शुभ माना जाता है. इसलिए वहां की महिलाएं ज्यादातर सोने से बनी चूड़ियां ही पहनती हैं. वहीं उत्तर भारत की महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं क्योंकि हरा रंग समृद्धि का प्रतीक होता है. 

राजस्थान

राजस्थान में  शादियों में दुल्हन के मामा दुल्हन को लाल बॉर्डर वाली रेशमी साड़ी के साथ चूड़ा गिफ्ट में देते हैं. इस रस्म को मामेरू की रस्म  कहा जाता है. राजस्थानी दुल्हने अपने हाथों में हाथीदांत से बनी चूड़ी (चूड़ी का इतिहास जानें) या फिर चूड़ा पहनती हैं. 

पंजाब

पंजाब का चूड़ा सेरेमनी काफी फेमस है. चूड़ा सेरेमनी के दौरान पूजा या हवन किया जाता है. पूजा के दौरान ही 21 चूड़ियों के इस सेट को दूध और गुलाब की पंखुड़ियों से साफ किया जाता है. इस रस्म में सभी रिश्तेदार चूड़ा को छूते हैं, ऐसा माना जाता है कि ऐसे चूड़ा पवित्र हो जाता है. और दुल्हन को रिशतेदारों की दुआएं भी मिलती हैं.  इसके बाद दुल्हन के मामा दुल्हन को चूड़ा पहनाते हैं.  चूड़ा पहनाने के बादा दुल्हन की कलाई को सफेद कपड़े से ढक दिया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दुल्हन को शादी के दिन तक चूड़ा नहीं देखना चाहिए. 

महाराष्ट्र

महाराष्ट में दुल्हनें हरे कांच से बनी चूड़िया पहनती हैं. लेकिन ये चूड़ियां ऑड नंबर के हिसाब से पहनी जाती हैं.  हरे रंग की चूड़ियां नए जीवन, खुशहाली का प्रतीक होती है.  महाराष्ट्रीयन दुल्हनें हरी चूड़ियां को सॉलिड गोल्ड की चूड़ी के साथ पहनती हैं, जिसे पट्या कहते हैं.  साथ ही कार्व्ड कड़ा को टोड कहा जाता है. 

हर रंग की है अपनी खासियत 

बाजार में तरह -तरह के रंगों की चूड़ियां मिलती हैं. इन सभी रंगों की अपनी एक अलग पहचान और खासियत है.  जैसे लाल रंग की चूड़ी को ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है जबकि हरे रंग की चूड़ियां सौभाग्य और  प्रजनन से संबंधित हैं.  वहीं पीली चूड़ियों को पहनने से जीवन में खुशियां आती हैं, वहीं सफेद चूड़ियों को जीवन की नई शुरुआत से जोड़कर देखा जाता है.  चांदी की चूड़ी शक्ति और सोने की चूड़ी भाग्य का प्रतीक होती हैं. 

चूड़ी पहनने के  फायदे भी जान लीजिए 

मानव शरीर का कलाई वाला हिस्सा हमेशा एक्टिव रहता है. साथ ही इस चूड़ी पहनने वाली जगह पर ही प्लस की बीट होती है. ऐसे में चूड़ियों को लगातार फ्रीक्शन से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. 

 

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