सूरत की महारानी अंबे माता के चमत्कारों की अद्भुत कहानी...मां ने सपने में आकर भक्त को दिखाई मंदिर की जमीन

सूरत शहर के अठवालाइंस इलाके में स्थित अंबिका निकेतन मंदिर में सरस्वती स्वरूप में मां अंबे विराजमान है. मंदिर तक पहुंचने के लिए एक मुख्यमार्ग पर एक प्रवेश द्वार बना है. माता के दरबार तक पहुंचने के लिए भक्त यही से प्रवेश करते है और फिर मां अम्बे के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सूरत की महारानी कही जाने वाली मां अंबे के मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम 7 आरतियां होती हैं.

Ambika Niketan Temple, Surat
gnttv.com
  • सूरत,
  • 28 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:08 PM IST
  • भूमि को पवित्र करने के लिए करवाया लखचंडी यज्ञ
  • 8 से 10 लाख भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं

सूर्यपुत्री तापी नदी के तट पर बसे सूरत शहर को आदिकाल में सुर्यपुर भी कहा जाता था. सूर्य पुत्री तापी नदी के तट पर बसे इस सूरत शहर में मां अंबे का एक ऐसा मंदिर है, जो शक्तिपीठ तो नहीं है परंतु इसकी मान्यता भक्तों में किसी शक्तिपीठ से कम नही है. यही वजह है कि सूरत में बसने वाले सूरती लोग हों या अलग-अलग राज्यों से काम काज के लिए सूरत आए लोग हर शुभ दिन पर शुभ कार्य की शुरुआत मां के प्रथम दर्शन से करते है.

रोज होती हैं 7 आरतियां
सूरत शहर के अठवालाइंस इलाके में स्थित अंबिका निकेतन मंदिर में सरस्वती स्वरूप में मां अंबे विराजमान है. मंदिर तक पहुंचने के लिए एक मुख्यमार्ग पर एक प्रवेश द्वार बना है. माता के दरबार तक पहुंचने के लिए भक्त यही से प्रवेश करते है और फिर मां अम्बे के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सूरत की महारानी कही जाने वाली मां अंबे के मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम 7 आरतियां होती हैं. सुबह 7 बजे मूर्ति दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खुलते हैं मगर उससे पहले सुबह 6 बजे से ही माता के भक्त मां के दर्शन के लिए कतार में लग जाते हैं और मंदिर के कपाट खुलने का इंतज़ार करते हैं. मंदिर के कपाट खुलने तक यहां भक्तों की भारी भीड़ जमा हो जाती है. आरती के समय मंदिर प्रांगण में भक्तिमय वातावरण बन जाता है. भक्त मां का जय घोष करते हैं. 

क्या है मंदिर निर्माण की कहानी?
इस अंबिका निकेतन मंदिर का निर्माण आज से 52 वर्ष पहले हुआ था. मंदिर का निर्माण भारती मईया नामक मां की भक्त ने करवाया था. भारती मईया 52 वर्ष पूर्व अहमदाबाद से सूरत अपने परिवार के साथ रहने आयी थीं. उस वक्त मां अंबे ने तापी नदी के तट पर उन्हें मंदिर बनाने का सपना दिखाया था. साथ ही मंदिर बनाने के लिए जमीन मांगने किस किसान के पास जाना है ये भी स्वप्न में बताया था. स्वप्न के आधार पर भारती मईया उस किसान के पास पहुंचीं और मंदिर बनाने के लिए ज़मीन मांगी थी तो उस किसान ने भारती को जमीन दे दी. यही नहीं मंदिर बनाने के लिए बख़्शीश में जमीन देने वाले किसान का कोई केस वर्षों से कोर्ट में चल रहा था. जमीन देने के बाद कोर्ट का फैसला किसान के पक्ष में आया. यह माता अंबे का पहला चमत्कार था.

भूमि को पवित्र करने के लिए करवाया लखचंडी यज्ञ
मंदिर का निर्माण कार्य करने के लिए तब भारती मईया लोगों के घर-घर जाकर चंदा एकत्रित करती थीं. भारती ने एक रुपया से ज्यादा का चंदा किसी से नहीं लिया. आज जिस स्थान पर मां अम्बा का भव्य मंदिर बना हुआ है वह सूरत का सबसे पॉश इलाका कहा जाता है, लेकिन मंदिर निर्माण के समय यहां जंगल हुआ करता था. किसान यहां पर खेती किया करते थे. अंबिका निकेतन मंदिर के ट्रस्टी और मंदिर निर्माण करने वाली भारती मईया के नाती रूपेन्द्र सिंह मकवाना ने मंदिर की महिमा को बताते हुए कहा कि मंदिर निर्माण से पहले भूमि को पवित्र करने के लिए इस भूमि पर लखचंडी यज्ञ करवाया गया था, जोकि एक महीने तक चला. 

रोजाना लगती है भक्तों की भारी भीड़
माता अंबा की भक्त भारती मईया के सामने उस वक्त ब्राह्मणों की दक्षिणा की चिंता थी किंतु यज्ञ में माता के भक्त इस कदर उमड़े कि जो आया कुछ ना कुछ भेंट लेकर आया. उससे यज्ञ पाठ का खर्च और ब्राह्मणों की दक्षिणा भी पूरी हो गई. उसके बाद मंदिर निर्माण कार्य शुरू हुआ और माता रानी के इस भव्य मंदिर में मां के भक्तों की कतारें हर दिन देखने को मिलती हैं. खासकर नवरात्री के समय में 8 से 10 लाख भक्त यहां दर्शन कर आशीर्वाद लेने आते हैं. 

(सूरत से संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट)

 

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