सदियों से उत्तराखंड की धरती का पौराणिक, आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रहा है. यह प्रदेश रहस्यों से भरा हुआ है. ऐसी ही एक गुफा अल्मोड़ा के चौखुटिया ब्लॉक में ऊंचावाहन गांव में स्थित है. दिल्ली से लगभग 370 किमी दूर और समुद्र तल से 3600 फीट की ऊँचाई पर स्थित इस गुफा में एक बहुत बड़ी चट्टान है. उस चट्टान पर रखे एक विशालकाय पत्थर को पीटने पर थाली बजाने जैसी आवाज आती है.
पांडवों से जुड़ी है कथा-
पौराणिक प्रचलित किंवदंती के अनुसार यह माना जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के समय में इस पत्थर की गुफा के पास ही ठहरे थे और अपने हथियारों को इस पत्थर पर घिसकर उसकी धार को तेज किया करते थे. जिसकी वजह से इस पत्थर पर भी ये धात्विक गुण उत्पन्न हो गया. जिससे इस पत्थर पर थपथपाने से एक विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है, जैसे कोई थाली को थपथपा रहा हो. कुमांऊ क्षेत्र में होने के कारण इसका नाम थकुली उडियार रखा गया. थाली को कुमांउनी भाषा में थकुली और गुफा को उडियार कहा जाता है. इसके साथ ही इस पत्थर की ऊपरी सतह पर काफी चिकनाहट है, जिसमें फिसलन होती है.
गांववालों ने बताई इस पत्थर की कहानी-
गांववाले बताते हैं कि इसका नाम थकुली उडियार है. हमने बचपन से इसे ऐसे ही देखा है और हमारे पूर्वजों ने भी ऐसे ही देखा था. बस अब ये फर्क है कि इस तक आने के लिए अब पक्का रास्ता बना दिया गया है. ये शुरू से ही ऐसी आवाज करता है, थाली की आवाज करता है. इसलिए इसे थकुली उडियार कहा जाता है. हम बचपन से इसको देखते आए हैं और यहाँ जो भी आता है, वो इसको थकुली उडियार बोलता है. वो बताते हैं कि गर्मियों में बहुत भीड़ रहती है और दूर दूर से लोग यहाँ घूमने आते हैं. कोई इसको भीम के आने का संकेत बताता है, कोई कुछ बताता है.
आसपास कई पत्थर, आवाज सिर्फ एक पत्थर से-
गांववालों का कहना है कि यहां 10 से अधिक बड़े बड़े पत्थर है. मगर आवाज सिर्फ एक ही पत्थर करता है. 2 पत्थरों के बीच एक गुफा है, वहीं से ये आवाज आती है, एक सेंटर है जहाँ ज्यादा आवाज आती है. ये अभी तक रहस्यमयी बना हुआ है. इसमें कोई कुछ जोड़ देता है, कोई कुछ जोड़ देता है. हमने भी बचपन से इसको ऐसा ही देखा है.
(अल्मोड़ा से संजय सिंह की रिपोर्ट)
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