Kankali Mata temple: 400 साल पुराना मंदिर, साल में एक दिन सीधी होती है मूर्ति की गर्दन... क्या है कंकाली माता मंदिर का रहस्य

Kankali Mata temple Story: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में 400 साल पुराना एक चमत्कारी मंदिर है. इस मंदिर में कंकाली माता की मूर्ति की गर्दन टेढ़ी है. लेकिन मान्यता है कि साल में एक दिन मूर्ति की गर्दन सीधी हो होती है.

मध्य प्रदेश के रायसेन में 400 पुराना कंकाली माता का मंदिर है
gnttv.com
  • रायसेन, मध्य प्रदेश,
  • 19 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST

नवरात्रि में देशभर में मां भवानी के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मध्य प्रदेश के रायसेन में कंकाली माता के मंदिर में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर की एक मान्यता है कि जो भी भक्त कंकाली माता की सीधी गर्दन देख लेता है, उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. आपको बता दें कि इस मंदिर में माता की मूर्ति की गर्दन टेढ़ी है और मान्यता है कि साल में एक दिन गर्दन सीधी होती है. चलिए आपको इस मंदिर की कहानी बताते हैं.

400 साल पुराना है कंकाली माता का मंदिर-
कंकाली माता का मंदिर रायसेन जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर दुगावल गांव में स्थित है. भोपाल से इसकी दूरी 25 किलोमीटर है. माना जाता है कि ये मंदिर 400 साल पुराना है और इसकी स्थापना 1731 ईस्वी मे की गई थी. हालांकि इसकी तारीख को लेकर कोई सटीक प्रमाण नहीं है. 
इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. देश-दुनिया से मां कंकाली के भक्त यहां आते हैं. भक्तों के रुकने के लिए आश्रय स्थल भी है. श्रद्धालुओं के भोजन का प्रबंधन मंदिर समिति की तरफ से किया जाता है. जिन भक्तों का व्रत होता है, उनके के लिए फलाहार की व्यवस्था की जाती है.

क्या है मंदिर को लेकर मान्यता-
मंदिर की स्थापना को लेकर एक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि 400 साल पहले हरलाल मीणा को मंदिर को लेकर एक सपना आया था. सपने में मां कंकाली के दर्शन हुए थे. माता ने कहा था कि जमीन में खुदाई करके मुझे बाहर निकालो और मेरी मूर्ति की स्थापना करो. इसके बाद उस जगह खुदाई की गई, जिसमें एक मूर्ति निकली. इसके बाद देवी मां की इस मूर्ति को स्थापित किया गया था. दावा किया जाता है कि मां कंकाली की मूर्ति देश की पहली ऐसी मूर्ति है, जिसकी गर्दन 45 डिग्री झुकी हुई है.
इस मंदिर परिसर के अंदरूनी हिस्से में एक 10 हजार वर्गफीट का एक हॉल है, जिसमें कोई भी पिलर नहीं है. यह एक अद्भुत कला का नमूना है. इस मंदिर में पहले बलि देने की प्रथा थी, लेकिन साल 1970 में इस प्रथा को बंद कर दिया गया.

मुराद पूरी होने के लिए क्या है मान्यता-
कंकाली माता के मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त यहां बंधन बांधकर मनोकामना मांगता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. मन्नत पूरी होने के बाद इस बंधन को खोला जाता है. मान्यता है कि नि:संतान दंपतियों की यहां गोद भर जाती है. इसके लिए यहां महिलाएं उल्टे हाथ से गोबर लगाती हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद सीधे हाथ का निशान बनाती है. यहां बच्चों को मुंडन भी कराया जाता है.

साल में एक दिन मूर्ति की गर्दन होती है सीधी-
कंकाली माता मंदिर को लेकर एक और मान्यता है. यहां की मूर्ति की गर्दन टेढ़ी है. लेकिन साल में एक दिन माता की मूर्ति की गर्दन सीधी हो जाती है. हालांकि आज तक किसी ने भी ऐसा देखा नहीं है. मान्यता है कि जो भक्त माता की सीधी गर्दन देख लेता है, उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
(रायसेन से राजेश रजक की रिपोर्ट)

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