Sawan 5th somwar 2024: सावन के आखिरी सोमवार यहां बनता है बर्फ का अनोखा शिवलिंग! दर्शनार्थियों की लगती है भीड़, देखकर आप भी रह जाएंगे हैरान!

यहां पर पिछले 30 सालों से लगातार सावन के आखिरी सोमवार की पूर्व संध्या पर बर्फ से बाबा बर्फानी की अनुकृति बनाई जा रही है. सावन के आखिरी सोमवार न सिर्फ बर्फ की सिल्लीयों को जोड़कर शिवलिंग बनाया जाता है बल्कि नंदी भगवान और अरघा की अनुकृति भी तैयार की जाती है. 

शिवलिंग को तैयार करने में 51 बर्फ की सिल्लियां इस्तेमाल हुई हैं. (Photo/Uday Gupta)
उदय गुप्ता
  • चंदौली,
  • 19 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST
  • नौ घंटे की मेहनत से बना शिवलिंग
  • तैयार हुई 15 फीट की अनुकृति

इस बार सावन के महीने में पांच सोमवार होने से यह माह श्रद्धालुओं के लिए खास हो गया है. सावन का आखिरी सोमवार 19 अगस्त को है. एक तरफ जहां सावन के आखिरी सोमवार को लेकर शिव भक्तों में जबरदस्त उत्साह और भक्ति का माहौल देखा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के दीनदयाल नगर में सावन के आखिरी सोमवार की पूर्व संध्या पर बर्फ से निर्मित विशाल और अनोखा शिवलिंग श्रद्धालुओं  के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

30 सालों से बन रहा है शिवलिंग
चंदौली के प्रमुख शहर पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर में यहां पर पिछले 30 सालों से लगातार सावन के आखिरी सोमवार की पूर्व संध्या पर बर्फ से बाबा बर्फानी की अनुकृति बनाई जा रही है. इसके दर्शन के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर दराज के लोग भी आते हैं. यहां पर सावन के आखिरी सोमवार की पूर्व संध्या पर आयोजक न सिर्फ बर्फ की सिल्लीयों को जोड़कर शिवलिंग बनाते हैं. बल्कि नंदी भगवान और अरघा भी बर्फ से ही बनाये जाते हैं. 

यहां पर बर्फ से शिवलिंग के निर्माण में तकरीबन पूरा दिन लग जाता है. बर्फ की सिल्लियों को एक के ऊपर एक रखकर जमाया जाता है और उसके बाद उसे शिवलिंग की आकृति दी जाती है. इसी तरह बर्फ की सिल्ली को तराश कर नंदी भगवान भी बनाए जाते हैं. बर्फ के शिवलिंग के निर्माण के बाद फूल पत्तियों और मालाओं से बाकायदा इनका शृंगार भी किया जाता है. आयोजकों का कहना है कि इस पूरी अनुकृति को बनाने में इस बार कुल 51 बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया गया है. इसको तैयार करने में तकरीबन 10 घंटे का समय लगा है. 

नौ घंटे में हुआ तैयार
शिवलिंग तैयार करने वाली टीम के सदस्य मनोज जायसवाल बताते हैं कि उन्होंने गुरुवार को सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक मेहनत करके यह शिवलिंग तैयार किया है. इस बार लगभग 15 फीट के बाबा बर्फानी बनाए गए हैं. शिवलिंग के साथ-साथ नंदी महाराज बने हैं और अरघा भी बर्फ से बनाया गया है. 

आयोजक समिति के सदस्य रमेश सिंह चौहान बताते हैं कि यहां चंदौली जिले के कई लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. साथ ही भक्तगण इस रास्ते से होकर वाराणसी बाबा विश्वनाथ को जलाभिषेक करने वाराणसी जाने वाले कावरिया भक्त भी यहां रुकते हैं और बर्फ से बने भगवान शिव का दर्शन लाभ लेते हैं. लोगों की आस्था ऐसी है कि कुछ लोग इसे बिल्कुल अनोखा मानते हैं. वहीं कुछ लोग इसे बाबा बर्फ़ानी अमरनाथ की अनुकृति मानकर पूजा अर्चना करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं. 

ऐसी ही एक श्रद्धालु आकांक्षा कहती हैं, "मैं यह (शिवलिंग) पहली बार देख रही हूं. मैं बिहार की रहने वाली हूं और मैं पहली बार यहां आई हूं. यह बहुत ही अनूठा लग रहा है." 

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