Tirupati Temple: कैसे बनाया जाता है तिरुपति मंदिर का प्रसाद, क्या-क्या होता है इस्तेमाल, 200 साल पुरानी है परंपरा, मंदिर के रहस्य के बारे में भी जानिए

Tirupati Temple Prasad: तिरुपति मंदिर में साल 1803 में बूंदी को प्रसाद के तौर पर बांटना शुरू किया गया था. लेकिन साल 1940 में ये परंपरा बदल दी गई. बूंदी की जगह लड्डू का इस्तेमाल होने लगा. मंदिर में रोजाना 8 लाख लड्डू तैयार करने की क्षमता है. प्रसाद बनाने के लिए मंदिर में रोजाना 620 कर्मचारी काम करते हैं. मौजूदा समय में प्रसाद में बेसन, काजू, इलायची, घी, चीनी, मिश्री और किशमिश मिलाया जाता है.

Tirupati Temple (Photo/tirumala.org)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:25 PM IST

दुनिया में फेमस तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को लेकर आंध्र प्रदेश की सियासत में हंगामा मचा हुआ है. मुख्यमंत्री चंद्रूबाबू नायडू ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका आरोप है कि पहले तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होता था. तिरुपति मंदिर का प्रसाद देशभर में मशहूर है. प्रसाद के तौर पर मंदिर में लड्डू दिया जाता है. तिरुपति मंदिर में प्रसाद की परंपरा 200 साल पुरानी है. चलिए आपको बताते हैं कि इस मंदिर का खास प्रसाद कैसे बनता है.

मंदिर में मिलता है खास प्रसाद-
तिरुपति मंदिर में खास तरह का लड्डू का प्रसाद मिलता है. माना जाता है कि इस प्रसाद के बिना दर्शन पूरा नहीं होता है. मंदिर में अलग तरीके से प्रसाद बनाया जाता है. पूरी शुद्धता के साथ इनका निर्माण होता है. लड्डू पोटू एक रसोईघर है, जहां लड्डू तैयार किए जाते हैं. पहले प्रसाद बनाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन साल 1984 के बाद एलपीजी गैस का इस्तेमाल होने लगा. लड्डू पोटू में रोजाना 8 लाख लड्डू तैयार करने की क्षमता है.

कैसे बनता है मंदिर का प्रसाद-
तिरुपति मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए एक खास तरीके का इस्तेमाल होता है. इसे दित्तम (Dittam) कहा जाता है. यह प्रसाद बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री और उसके अनुपात की लिस्ट है. दित्तम में अब तक के इतिहास में सिर्फ 6 बार बदलाव किया गया है. मौजूदा समय में प्रसाद में बेसन, काजू, इलायची, घी, चीनी, मिश्री और किशमिश मिलाया जाता है. हर रोज प्रसाद तैयार करने के लिए 10 टन बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलोग्राम काजू, 150 किलोग्राम इलायची, 300 से 400 लीटर घी, 500 किलोग्राम मिश्री और 540 किलोग्राम किशमिश का इस्तेमाल होता है.

लड्डू पोटू में लड्डू बनाने के लिए 620 रसोइए रोज काम करते हैं. इनको पोटू कर्मीकुलु ( potu karmikulu) कहा जाता है. इसमें से 150 कर्मचारी रेगुलर हैं और 350 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करते हैं. इन कर्मचारियों में से 247 शेफ हैं.

मंदिर में कई तरह के प्रसाद बनाए जाते हैं. प्रोक्तम लड्डू (Proktham Laddu) मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को नियमित तौर पर दिया जाता है. यह 60-70 ग्राम का होता है. अस्थानम लड्डू (Asthanam Laddu) विशेष त्योहार पर बनाए जाते हैं. इसका वजन 750 ग्राम होता है. इसमें काजू, बादाम और केसर अधिक मात्रा में होता है. कल्याणोत्सवम लड्डू (Kalyanotsavam Laddu) कुछ विशेष भक्तों को दिया जाता है. इन लड्डुओं की भी डिमांड है.

200 साल पुरानी है प्रसाद की परंपरा-
तिरुपति मंदिर में प्रसाद देने की परंपरा 200 साल पुरानी है. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने 1803 में बूंदी को प्रसाद के तौर पर बांटना शुरू किया था. लेकिन साल 1940 में ये परंपरा बदल दी गई. बूंदी की जगह लड्डू का इस्तेमाल शुरू किया गया. टीटीडी ने साल 1950 में प्रसाद में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की मात्रा तय कर दी. साल 2001 में आखिरी बार दित्तम में बदलाव किया गया था, जो आज तक लागू है.

क्या हैं मन्दिर के रहस्य-
तिरुपति बालाजी मंदिर के मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं. चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.

  • कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं. ये बाल हमेशा मुलायम रहते हैं. माना जाता है कि भगवान खुद यहां विराजमान हैं.
  • भगवान को पसीना आता है, पसीने की बूंदें दिखाई देती हैं. ये भी रहस्य है.
  • जब गर्भगृह में एंट्री करेंगे तो मूर्ति मध्य में दिखेगी और जब गर्भगृह से बाहर आएंगे तो भगवान की मूर्ति दाहिनी तरफ दिखााई देगी.
  • जब भगवान का श्रृंगार हटाकर स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है और जब इसे हटाया जाता है तो भगवान वेंकेटेश्वर के ह्दय में मां लक्ष्मी की आकृति दिखती है.
  • माना जाता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं. इसलिए मूर्ति को स्त्री और पुरुष दोनों के कपड़े पहनाए जाते हैं.
  • मंदिर में हमेशाा दीया जलता रहता है. रहस्य ये है कि इस दीपक में कभी तेल या घी नहीं डाला जाता है.
  • मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है.

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