Baglamukhi Jayanti: आज है बगलामुखी जयंती, जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक

मां बगलामुखी को 10 विद्याओं में से आठवीं महाविद्या माना जाता है. मां बगलामुखी को बेहद शक्तिशाली माना जाता है. आज मां बगलामुखी की जयंती है. मां बगलामुखी को पीला रंग बेहद ही प्रिय है, इसी वजह से उन्हें पितांबरी भी कहा जाता है. 

बगलामुखी जयंती
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST
  • बेहद शक्तिशाली हैं मां बगलामुखी
  • मां को बहुत पसंद है पीला रंग

बगलामुखी जयंती हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. माना जाता है यह वही दिन है जिस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी. इस व्रत को लेकर मान्यता है कि अगर सच्ची आस्था और सही विधि से पूजा की जाए तो बगलामुखी देवी अपने भक्तों को शत्रुओं से जुड़ी तमाम समस्याओं से दूर रखती हैं. इस बार बगलामुखी जयंती 28 अप्रैल यानी आज मनाई जा रही है. 

मां बगलामुखी को 10 विद्याओं में से आठवीं महाविद्या माना जाता है. मां बगलामुखी को बेहद शक्तिशाली माना जाता है. कहा जाता है अगर सारे ब्रह्मांड की शक्तियां मिल भी जाए तो वह मां बगलामुखी का मुकाबला नहीं कर सकती हैं. मां बगलामुखी को पीला रंग बेहद ही प्रिय है, इसी वजह से उन्हें पितांबरी भी कहा जाता है. 

बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त (Baglamukhi Jayanti 2023 Shubh Muhurat)
इस साल बगलामुखी जयंती 28 अप्रैल 2023 यानी आज है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आज माता बगलामुखी की पूजा के लिए सबसे सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 बजे तक रहेगा. इसके अलावा चाहें तो पूर्वाह्न में 03 बजकर 57 से 04 बजकर 41 बजे तक का समय भी बगलामुखी की साधना-आराधना के लिए अच्छा है.

बगलामुखी जयंती पूजन विधि (Baglamukhi Jayanti 2023 Pujan Vidhi)
बगलामुखी जयंती के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें. इस दिन की पूजा में मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए. इसके बाद पूजा में जितना हो सके पीले रंग को शामिल करें. जैसे आप मां का आसन पीले रंग का रख सकते हैं, मां को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं, पूजा में पीले रंग का फूल शामिल करें, फल पीले रंग के शामिल करें इत्यादि. विधिवत रूप से पूजा आदि करने के बाद अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान करें. बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं. ऐसे में जिन लोगों को बगलामुखी जयंती के दिन व्रत रखना होता है वो इस दिन रात के समय फलाहार भोजन कर सकते हैं. इसके बाद अगले दिन स्नान आदि करने के बाद पूजा की जाती है और इसके बाद ही आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं. 

 

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