Utpanna Ekadashi 2021: उत्पन्ना एकादशी पर भगवान विष्णु को खुश करने के लिए करें इन देवी की पूजा, दुखों से मिलेगी मुक्ति

Utpanna Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में एकदाशी के व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन सृष्टि कते पालनहार श्री हरि की पूजा और व्रत आदि करने से समस्त दुखों का नाश होता है.

उत्‍पन्ना एकादशी 2021
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST
  • इस दिन भगवान विष्णु के साथ योग माया देवी की पुजा अवश्य करना चाहिए
  • सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

हिंदी पंचाग के अनुसार हर माह दो एकादशी (Ekadashi 2021) मनाई जाती है. हर एकादशी का अलग-अलग महत्व होता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी (Utapanna Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है. इस साल उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर के  दिन पड़ रही है. इस दिन भगवान विष्णु (lord Vishnu) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. उत्पन्ना एकादशी को कन्या एकादशी (Kanya Ekadashi 2021) के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) के पुण्य से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है. और दुखों से मुक्ति मिलती है. 

उत्पन्ना एकादशी की तिथि (Utpanna Ekadashi Tithi 2021)

हिंदू पंचाग के अनुसार एकादशी का आरंभ 30 नवंबर प्रातः काल 4 बजकर 13 मिनट पर होगा और 1 दिसंबर रात्रि 2 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी. दिनभर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करें. 

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि (Utpanna Ekadashi Puja Vidhi 2021)

एकादशी के व्रक की शुरुआत दशमी के दिन सूर्योस्त के बाद से हो जाती है. जातक को शाम के बाद कुछ नहीं खाना होता. एकादशी के दिन भूखे-प्यासे रहकर व्रत किया जाता है और द्वादशी के दिन हरि वासर समाप्त होने पर ही व्रत का पारण किया जाता है. एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें. एकादशी के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें और भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें. फिर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें. इसके बाद आमचन कर पीले रंग का वस्त्र धारण करें और सबसे पहले सूर्य भगवान को जल अर्पित करें. फिर भगवान श्रीविष्णु की पूजा पीले पुष्प, पीले फल, धूप, दीप तुलसी दल से करें. और आखिर में आरती-अर्चना कर पूजा संपन्न करें. दिनभर निराहार व्रत करें. अगर व्रती चाहे तो फल और जल का एक बार सेवन कर सकते हैं. अगले दिन पूजा पाठ करने के बाद ही व्रत पारण करें. 

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

देवी एकादशी श्री हरि का ही शक्ति रूप हैं, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था. इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मनुष्यों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. उत्पन्ना एकादशी आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है.

 

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