वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली का आयोजन किया गया, जिसमें चिता भस्म की होली और मसाननाथ बाबा की पालकी शोभायात्रा शामिल थी. यह आयोजन वाराणसी के पांच दिवसीय रंगोत्सव का हिस्सा है, जो परमभरी एकादशी से शुरू होकर होली तक चलता है.
मणिकर्णिका घाट पर मसाननाथ बाबा की पालकी शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में नागा साधु, सन्यासी और वैरागी शामिल हुए. यह शोभायात्रा रमनाल इलाके से शुरू होकर मसाननाथ मंदिर तक पहुंची. शोभायात्रा के दौरान भक्तों ने बाबा की पालकी को श्रद्धा के साथ उठाया और पूरे मार्ग में भक्ति और उत्साह का माहौल बना रहा.
चिता भस्म की होली
मसाननाथ मंदिर पहुंचने के बाद चिता भस्म की होली खेली गई. इस होली में सबसे पहले नागा साधु, सन्यासी और वैरागी शामिल होते हैं. चिता भस्म की होली एक विशेष परंपरा है, जिसमें केवल नागा सन्यासियों को ही भाग लेने की अनुमति होती है. गृहस्थ और महिलाएं इस होली में भाग नहीं ले सकते.
पांच दिवसीय रंगोत्सव
वाराणसी में पांच दिवसीय रंगोत्सव की शुरुआत परमभरी एकादशी से हो गई है और यह होली तक चलेगा. इस उत्सव के दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. मसान की होली इस उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मसान की होली वाराणसी की एक अनूठी परंपरा है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह आयोजन न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. मसान की होली के माध्यम से वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित किया जाता है.
इस प्रकार, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली का आयोजन एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसमें चिता भस्म की होली और मसाननाथ बाबा की पालकी शोभायात्रा शामिल है. यह आयोजन वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है और इसे संरक्षित करने का प्रयास करता है.