Varuthini Ekadashi Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. एक साल में कुल 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं. इस दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं.
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का व्रत रखा जाता है. इस बार वरुथिनी एकादशी की सही तिथि को लेकर थोड़ी कन्फ्यूजन है, तो आइए जानते हैं किस दिन वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा और क्या है भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा विधि?
क्या है वरुथिनी एकादशी व्रत की सही तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 24 अप्रैल 2025 को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है, इसलिए वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा. वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने वाले भक्त पारण 25 अप्रैल 2025 को सुबह 5:46 बजे से 8:23 बजे के बीच कर सकते हैं. इस व्रत का महत्व पद्म पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है.
सभी प्रकार के पापों का होता है नाश
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से भक्त के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है. भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत रखने का फल गंगा स्नान के फल से भी अधिक मिलता है. इस व्रत के महात्म्य को पढ़ने से एक हजार गोदान का फल मिलता है. वरुथिनी एकादशी के पूजा सामग्री में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र, पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप, फल, मिठाई, अक्षत, रोली, पीला चंदन, गंगाजल आदि शामिल हैं.
क्या है पूजा विधि
1. वरुथिनी एकादशी से एक दिन पूर्व सूर्यास्त से पहले भोजन करें और रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
2. वरुथिनी एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें.
3. इसके बाद हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर विष्णु भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें.
4. फिर पीले आसन पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें.
5. इसके बाद गंगाजल से विष्णी जी की प्रतिमा को स्नान कराएं और साफ वस्त्रों से पोछें.
6. इसके बाद चंदन, अक्षत, पीले फूल, तुलसी के पत्ते आदि चढ़ाएं और धूप-दीप दिखाएं.
7. फिर केसर की खीर, पंचामृत और धनिया की पंजीरी अर्पित करें.
8. विष्णु भगवान के मंत्रों का जप करें. इसके बाद वरुथिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें.
9. अंत में अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करें.
10. रात में जागरण करें और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें.
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