वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का व्रत वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस बार 24 अप्रैल 2025 को वरुथिनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु के मधुसूदन स्वरूप की उपासना की जाती है.
इस व्रत को करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने वाले भक्त पारण 25 अप्रैल 2025 को सुबह 5:46 बजे से 8:23 बजे के बीच कर सकते हैं. इस व्रत का महत्व पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी बताया गया है.
पूजा विधि
1. वरुथिनी एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें.
2. इसके बाद भगवान विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा करें.
3. पूजा में पाद्य, अर्घ्य, आचमनी, स्नान, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तम्बुल यज्ञोपवीत आदि का समर्पण करें.
4. विष्णु भगवान के मंत्रों का जप करें. इसके बाद वरुथिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें.
5. रात में जागरण करें और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें.
6. इस दिन अन्न का त्याग करें.
क्या है राजा मान्धाता की कथा
राजा मान्धाता नर्मदा नदी के तट पर राज्य करते थे. एक दिन तपस्या करते समय एक भालू ने उनके पैर पर काट लिया. राजा ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की और भगवान ने प्रकट होकर भालू को मार डाला. भगवान विष्णु ने राजा को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी, जिससे उनका पैर ठीक हो गया.
दान का महत्त्व
वरुथिनी एकादशी के दिन दान का विशेष महत्त्व है. इस दिन मिट्टी के घड़े में जल भरकर दान करें. पंखा, बैल आदि का दान करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है. दान करते समय मन में यह भाव रखें कि यह वस्तु ईश्वर को समर्पित है.
बरतें ये सावधानियां
1. वरुथिनी एकादशी के दिन तामसिक भोजन न बनाएं.
2. लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का सेवन न करें.
3. गहरे काले, नीले कपड़ों का प्रयोग न करें.
4. ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें.
उपाय और मंत्र
वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वराह रूप की पूजा करें. पीले वस्त्र धारण कर जल, पुष्प, चंदन लेकर व्रत का संकल्प करें. विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें. ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें. वरुथिनी एकादशी का व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.