Mahant Avaidyanath: Pravin Togadia की Yogi Adityanath के गुरू को Bharat Ratna देने की मांग, Ram Temple आंदोलन में क्या थी महंत अवैद्यनाथ की भूमिका, जानिए

Ram Temple: महंत अवैद्यनाथ का जन्म पौड़ी गढ़वाल के एक गांव में हुआ था. उनका बचपन का नाम कृपाल सिंह बिष्ट था. उन्होंने 8 फरवरी 1942 को महंत दिग्विजयनाथ से संन्यास की दीक्षा ली थी. महंत अवैद्यनाथ को श्रीरामजन्मभूमि यज्ञ समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. उनकी अगुवाई में राम मंदिर आंदोलन हुआ था.

Mahant Avaidyanath and Ram Temple
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ समेत राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों को भारत रत्न देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि गोरक्षपीठाधीश्वर अवैद्यनाथ, अयोध्या मंदिर के पूर्व महंत रामचंद्र परमहंस दास, अशोक सिंघल, विष्णु हरी डालमिया, पूर्व सीएम कल्याण सिंह, बाला साहेब ठाकरे को भारत रत्न देकर सम्मानित करना चाहिए.

गोरखपुर और राम मंदिर का एक बेहद खास जुड़ाव है. अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना को लेकर हुए आंदोलनों में गोरखनाथ पीठाधीश्वर एवं ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ की अहम भूमिका थी. साल 1949 में जब अयोध्या में रामलला के अस्तित्व की बात सामने आई तो महंत दिग्विजयनाथ और उनके साथियों ने उस जगह पर भजन कीर्तन किया था. इसके बाद जब पहली बार कोर्ट के आदेश पर विवादित स्थल का ताला खोला गया था, तब गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ वहां मौजूद थे. चलिए आपको राम मंदिर आंदोलन में महंत अवैद्यनाथ की भूमिका के बारे में बताते हैं.

अवैद्यनाथ की अगुवाई में राम मंदिर आंदोलन-
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई की थी. उन्होंने हिंदू समाज के धर्म आचार्यों को एक मंच पर ला दिया था. 21 जुलाई 1984 को जब श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया गया तो महंत अवैद्यनाथ को इसका अध्यक्ष चुना गया था. उनकी अगुवाई में राम मंदिर के लिए आंदोलन चला था. पूर्व सांसद डॉ. राम विलास वेदांती ने एक बयान में कहा था कि सरकार के डर से अयोध्या का कोई भी संत-महंत श्रीरामजन्मभूमि यज्ञ समिति का अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं था. ऐसे में गोरक्षपीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर अवैद्यनाथ ने अध्यक्ष का पद संभाला था.

राम जन्मभूमि का ताला खोला गया-
श्रीरामजन्मभूमि यज्ञ समिति का अध्यक्ष बनने के बाद महंत अवैद्यनाथ के मार्गदर्शन में सबसे पहले श्रीराम जानकी रथयात्रा निकाली गई थी. लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के वजह से यात्रा रोक दी गई थी. एक साल बाद फिर से पूरे देश में राम जानकी रथयात्रा निकाली गई. इसका मकसद राम जन्मभूमि का ताला खुलवाना था. लेकिन उनकी यात्रा अयोध्या पहुंचने से पहले ही राम जन्मभूमि का ताला खोल दिया गया.
महंत अवैद्यनाथ की अगुवाई में देशभर से राम मंदिर के लिए ईंटें जुटाई गई थी. उन ईंटों को महंत अवैद्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास से अध्यक्ष रामचंद्र दास परमहंस को सौंप दिया. इसके बाद राम मंदिर की पहली ईंट रखने के लिए एक दलित समाज के रामभक्त कामेश्वर चौपाल को चुना गया.

कौन थे महंत अवैद्यनाथ-
महंत अवैद्यनाथ का जन्म 18 मई 1919 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में कांडी गांव में हुआ था. उनका नाम कृपाल सिंह बिष्ट था. बचपन में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था. उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया था. लेकिन दादी की मौत के बाद सांसारिक रिश्तों से उनका मोहभंग हो गया. साल 1940 में कृपाल सिंह गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात महंत दिग्विजयनाथ से हुई. दिग्विजयनाथ ने कृपाल सिंह को अपना उत्तराधिकारी बनाने की पेशकश की. लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुए. इसके बाद कृपाल सिंह देशभर में यात्रा पर निकल गए.

यात्रा के दौरान कराची में कृपाल सिंह की मुलाकात नाथ पंथ के महान योगी शांतिनाथ से हुई. शांतिनाथ ने कृपाल सिंह को गोरखपुर जाकर महंत दिग्विजय नाथ से दीक्षा लेने को कहा. संन्यासी कृपाल सिंह ने दिग्विजयनाथ से अपनी मुलाकात के बारे में बताया. इसके बाद शांतिनाथ ने दिग्विजयनाथ को चिट्ठी लिखी और कृपाल सिंह गोरखनाथ मंदिर पहुंच गए. 8 फरवरी 1942 को कृपाल सिंह ने महंत दिग्विजयनाथ से दीक्षा ली और उनका नाम अवैद्यनाथ रखा गया.

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