Nepal Temples: नेपाल में हिंदू धर्म के 10 बड़े प्रतीक, इन दिव्य जगहों पर कैसे जा सकते हैं घूमने, जानिए

नेपाल को एक बार फिर देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. इस देश में हिंदुओं से जुड़ी कई फेमस धार्मिक जगहें हैं. चलिए आपको उन जगहों के बारे में बताते हैं और ये भी बताते हैं कि वहां कैसे पहुंच सकते हैं.

Pashupatinath Temple
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:54 PM IST

नेपाल (Nepal) को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. हिंदू संगठनों समेत कई सियासी पार्टियां भी इसकी मांग कर रही हैं. उनका तर्क है कि जब ताकतवर देश खुद को ईसाई या इस्लामिक कह सकते हैं तो नेपाल खुद को हिंदू राष्ट्र क्यों नहीं कह सकता? इस देश में कई ऐसी जगहें हैं, जो हिंदुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ी हैं. भारत से नेपाल जाने के लिए भारतीय नागरिकों को अपने साथ इंडियन पासपोर्ट या भारत के चुनाव आयोग की ओर से जारी किया गया वोटर आईडी कार्ड और कुछ पासपोर्ट साइज फोटो रखना होगा. भारत से नेपाल की राजधानी काठमांडू जाने के लिए हवाई जहाज या बस ले सकते हैं. 

स्वयंभूनाथ मंदिर-

Swayambhunath temple (Photo: Social Media)


राजधानी काठमांडू के पास स्वयंभूनाथ मंदिर है. यह यहां का सबसे फेमस मंदिर है. काठमांडू से इस जगह पैदल या टैक्सी से जा सकते हैं. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है.

पशुपतिनाथ मंदिर-

Pashupatinath Temple (Photo: Social Media)


नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर दूर बागमती नदी के किनारे देवपाटन गांव में पशुपतिनाथ मंदिर है. ये भगवान पशुपतिनाथ का मुख्य निवास माना जाता है. ये जगह यूनेस्को (UNESCO) की विश्व सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में शामिल है. दिल्ली से नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर जाने के लिए गोरखपुर तक ट्रेन से जा सकते हैं. उसके बाद वहां से सोनौली तक बस से सफर कर सकते हैं. उसके बाद काठमांडू तक दूसरी बस लें. अगर आप घूमने जाएं तो इस बात का जरूर ख्याल रखें कि इस मंदिर के अंदर की तस्वीरें लेने की इजाजत नहीं है.

दक्षिण काली मंदिर-

Dakshin kali temple (Photo: Social Media)


दक्षिण काली मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से 22 किलोमीटर है. यह मंदिर देवी काली को समर्पित है. दक्षिण काली मंदिर का वही धार्मिक महत्व है, जो नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर का है.

बज्रयोगिनी मंदिर-

Vajrayogini temple (Photo: Social Media)


मां भगवती का बज्रयोगिनी मंदिर काठमांडू के पास बहने वाली साली नदी के किनार सांखू में स्थित है. इस मंदिर में देवी मां की प्रतिमा को कई आभूषणों से सजाया गया है. इस मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग आते हैं.

मनकामना माता मंदिर-

Manakamana temple (Photo: Social Media)


मनकामना माता का मंदिर नेपाल के गोर्खा जिले के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित है. यह मंदिर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर है. जबकि राजधानी काठमांडू से 105 किलोमीटर दूर है. इस मंदिर के निर्माण से एक कथा जुड़ी है. कहा जाता है कि एक किसान ने गलती से एक पत्थर को चोट मारी थी. उस पत्थर से खून और दूध एक साथ निकलने लगा था. बाद में इस जगह पर मंदिर बनाया गया और उस पत्थर की पूजा होती है. 

बुदानिकंथा मंदिर-

Budhanilkantha temple (Photo: Social Media)


बुदानिकंथा मंदिर राजधानी काठमांडू से 8 किलोमीटर दूर है. इस मंदिर में एक तालाब में 11 नागों की सर्पिलाकार कुंडली में भगवान विष्णु विराजमान हैं. कहा जाता है कि राजपरिवार का कोई सदस्य इस मूर्ति का दर्शन कर लेगा तो उसकी मौत हो जाएगी.

वराह क्षेत्र-

Barah kshetra (Photo: Wikipedia)


वराह क्षेत्र नेपाल में सप्त कोशी और कोका नदियों के संगम पर स्थित है. मान्यता है कि इस जगह पर ही भगवान विष्णु ने वराह अवतार में हिरण्यकश्यप का वध किया था.

मुक्तिनाथ मंदिर-

Muktinath temple (Photo: Social Media)


मुक्तिनाथ मंदिर नेपाल के मस्टैंग जिले में है. यह मंदिर दुनिया के सबसे बड़े थोरुंग ला दर्रे पर स्थित है. यह मंदिर अपने आप उत्पन्न हुआ है. यह मंदिर हिंदुओं और बौद्धों के लिए महत्व रखता है. इस मंदिर के पीछे 108 जलधाराएं हैं. यहां काठमांडू से पोखरा के लिए उड़ान भरना होगा और उसके बाद जोमसोम के लिए दूसरी उड़ान भरनी होगी. जोमसोम से यह जगह सिर्फ 18 मिलोमीटर है, यहां से सड़क मार्ग से जा सकते हैं.

चांगुनारायण मंदिर-

Changunarayan temple (Photo: Social Media)


चांगुनारायण मंदिर को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में जगह दी गई है. यह मंदिर राजधानी काठमांडू से 8 किलोमीटर दूर भक्तपुर में स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है.

दंतकाली मंदिर-

Dantakali temple (Photo: Social Media)


दंतकाली मंदिर नेपाल के बिजयापुर गांव में है. यह नेपाल के फेमस दुर्गा मंदिरों में से एक है. यहां माता सती का दांत गिरा था, इसलिए इस मंदिर का नाम दंतकाली पड़ा. 

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED