बृहस्पति देवताओं के गुरू हैं. देव गुरू बृहस्पति की कृपा के बिना जीवन में खुशियों का संचार संभव नहीं है. क्योंकि बृहस्पति में वो शक्ति है जो किसी भी चीज़ को बड़ा और विकराल कर सकते हैं. मान्यता है कि बृहस्पतिवार का व्रत करने से जीवन में कई तरह की खुशियां आती हैं. बृहस्पतिवार को विष्णु भगवान और बृहस्पति देव दोनों की पूजा होती है.
बृहस्पतिवार व्रत का महत्व
बृहस्पतिवार के व्रत से श्री हरि और बृहस्पति ग्रह दोनों की कृपा मिल सकती है.
श्री हरि की कृपा से संपत्ति और सम्पन्नता दोनों मिल सकती है.
बृहस्पति देव की कृपा से संतान और विवाह की समस्याएं दूर हो सकती हैं.
यह व्रत हर प्रकार से सुख , शान्ति और समृद्धि देता है.
ज्योतिष में बृहस्पति का स्थान
नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है.
पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष,कानून, ज्ञान, मंत्र, ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता है.
पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है.
पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक होता है.
महिलाओं के विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है.
किनके लिए लाभकारी है बृहस्पतिवार का व्रत
जिनकी कुंडलियों में बृहस्पति कमजोर हो.
जिनका विवाह न हो पा रहा हो या वैवाहिक जीवन ख़राब हो.
जिनको संतान सम्बन्धी कोई भी समस्या हो.
जिनको पेट या मोटापे की कोई समस्या हो.
जिनको अपने आध्यात्मिक पक्ष को मजबूत करना हो.
हर व्रत और उपासना से किसी ना किसी मनोकामना की पूर्ति होती है. किसी के मन में संतान पाने की इच्छा होती है तो कोई शीघ्र विवाह की कामना लिए बृहस्पतिवार का व्रत रखता है.
बृहस्पतिवार व्रत के नियम
प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें.
सूर्य को हल्दी मिलकर जल अर्पित करें.
इसके बाद केले के पौधे में जल अर्पित करें.
बृहस्पति के मन्त्रों का जाप करें.
चाहें तो बृहस्पति व्रत कथा भी सुन सकते हैं.
दिन में केवल जल और फल पर उपवास रखें.
संध्याकाल को पुनः मन्त्र जाप करें.
ज्योतिष के जानकार कहते हैं जो लोग संतान सुख से वंचित है, उनके लिए बृहस्पतिवार का व्रत बहुत फलदायी साबित हो सकता है.
संतान सुख के लिए क्या करें ?
बृहस्पतिवार का व्रत रखें.
प्रातः काल जल में हल्दी मिलाकर सूर्य को अर्पित करें.
इसके बाद हल्दी की माला से बृहस्पति के मंत्र का जाप करें.
मंत्र होगा - 'ॐ बृं बृहस्पतये नमः'
इस दिन सूर्यास्त के पहले ही पीला भोजन कर लेना उत्तम होता है.
अगर विवाह तय नहीं हो पा रहा हो.
बृहस्पतिवार का व्रत रखें.
पीले रंग के वस्त्र धारण करके श्री हरि की पूजा का संकल्प लें.
इस दिन घर में प्रसाद बनायें.
पीला भोजन या भोग बनाना अच्छा होगा.
अगर आप प्रसाद की व्यवस्था नहीं कर सकते तो केवल गुड़ और चने का भी भोग लगा सकते हैं.
भगवान विष्णु को पीले फूलों की माला अर्पित करें.
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
"ॐ विष्णवे नमः" का यथाशक्ति जप करें.
प्रसाद स्वयं भी ग्रहण करें और इसका वितरण निर्धनों में भी करें.
मनोकामना पूरी करने वाला ये व्रत आपके लिए वरदान साबित हो सकता है. अगर आपके वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ रही हैं तो आप बृहस्पतिवार का व्रत रखकर अपने वैवाहिक जीवन को भी सुखी बना सकते हैं.
अगर वैवाहिक जीवन में समस्याएं हों
बृहस्पतिवार का उपवास रखें.
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति या उनके चित्र की स्थापना करें.
पीले वस्त्र धारण करें.
भगवान विष्णु को पीला और माँ लक्ष्मी को गुलाबी फूल अर्पित करें.
"ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः" का जप करें.
पूजा के बाद दोनों फूलों को अपने शयन कक्ष में सिरहाने रख लें.
ये प्रयोग जितने लंबे समय तक किया जाए उतना ही उत्तम होगा.
बृहस्पति देव के मंत्र
ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरूवे नम:॥
ऊं ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:॥
ऊं बृं बृहस्पतये नम:॥
ऊं क्लीं बृहस्पतये नम:॥
ऊं ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः॥
मान्यता है कि पूरी श्रद्धा और विश्वास से बृहस्पतिवार का व्रत करने और मंत्रों का जाप करने से हरि की विशेष कृपा जरूर मिलती है और इसके साथ ही कुंडली का बृहस्पति भी मजबूत हो जाता है.