दिवाली हिंदुओं के बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह त्योहार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है. लोग महीनेभर पहले से ही अपनी छुट्टियां प्लान कर लेते हैं. हालांकि, इस साल दीवाली वेकेशन प्लान करने में काफी परेशानी हो रही है. क्योंकि दिवाली किस तारीख को मनाई जाएगी, इसे लेकर बहुत कंफ्यूजन है. असमंजस यही है कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाएं या फिर 1 नवंबर को.
इसी कश्मकश को दूर करने के लिए जयपुर में देशभर के विद्वानों ने एक सभा की. जयपुर की केंद्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी में 'दीपावली निर्णय' धर्मसभा आयोजित की गई. इस सभा में सभी ज्योतिष व पंडितों ने गणना करके यह तय किया कि भारत में दिवाली किस दिन मनाई जाएगी. दरअसल, अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर में शुरू होकर 1 नवंबर को शाम में समाप्त हो रही है. बहुत सी जगह के पंचांगों में दिवाली एक नवंबर की बताई जा रही है. इस कारण हर कोई संशय में है कि किस दिन दिवाली मनाएं.
इस दिन भारत में मनाई जाएगी दिवाली
जयपुर में हुई धर्मसभा में फैसला लिया गया है कि भारत में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. विद्वानों का कहना है कि इस दिन पूरे प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद दो घंटे 24 मिनट का समय) में अमावस्या तिथि है इसलिए शास्त्रों के अनुसार इसी दिन दिवाली मनाना उचित रहेगा. हालांकि, अन्य कई देशों में दिवाली 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी. जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, सिंगापुर में एक नवंबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा.
आपको बता दें कि इस धर्मसभा में जयपुर के महाराज आचार्य संस्कृत कॉलेज के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष, प्रो. रामपाल शास्त्री, गुजरात की सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति, प्रो. अर्कनाथ चौधरी सहित 100 से ज्यादा ज्योतिषाचार्य, धर्मशास्त्री, और संस्कृत विद्वानों ने हिस्सा लिया था. प्रो अर्कनाथ चौधरी ने कहा कि राजमार्तंड ग्रंथ में कहा गया है कि लक्ष्मी पूजा सदैव उसी दिन करनी चाहिए जिस दिन कर्मकाल में तिथि की प्राप्ति हो. यह चतुर्दशी मिश्रित अमावस्या में करनी चाहिए. इस सिद्धांत से दिवाली 31 अक्टूबर को ही शास्त्र सम्मत होगी.
इस कारण फैला दो तारीखों का भ्रम
प्रो. अर्कनाथ चौधरी ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमारे देश में त्योहार की तिथि का निर्धारण धर्मशास्त्री सूर्य सिंद्धांत के आधार पर करते हैं. उसके अनुसार कभी कोई भ्रम पैदा नहीं हुआ. इस बार भी दिवाली को लेकर कोई भ्रम नहीं था. इस पर विवाद दृक गणित से तैयार पंचांगों के कारण हुआ है. आपको बता दें कि दृक गणित खगोलीय गणना करने की एक पद्धिति है और ये नासा की गणनाओं को फॉलो करते हैं, जिस कारण यह संशय उठा.
31 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर 3:23 बजे शुरू हो रही है. इस दिन पूरी रात अमावस्या है. लक्ष्मी पूजा के लिए वृष और सिंह लग्न का शुभ मुहूर्त इसी दिन मिलेगा. ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि प्रदोष काल और अर्धरात्रि, जोनों में अमावस्या होने से 31 अक्टूबर 2024 को ही दिवाली होगी. जबकि 1 नवंबर को प्रदोष काल सिर्फ कुछ मिनट का है क्योंकि इस दिन सूर्यास्त के बाद शाम को 6 बजकर 16 मिनट पर अमावस्या खत्म हो जाएगा, जिससे अमावस्या तिथि में लक्ष्मी पुजन का समय नहीं मिलेगा.