Diwali 2023: 12 या 13 नवंबर, कब है रोशनी और खुशियों का पर्व दिवाली, यहां जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Diwali 2023 Date And Time: दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ श्रीराम, माता सीता, मां सरस्वती समेत कई देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है. 

मां लक्ष्मी और भगवान गणेश
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:57 PM IST
  • मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की करें पूजा
  • धन-दौलत की नहीं होगी कमी

हिंदू धर्म में दिवाली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस रोशनी और खुशियों के त्योहार के आने का इंतजार हर किसी को रहता है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और धन-दौलत में बरकत होती है. 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे तो नगर वासियों ने इस खुशी में दीप प्रज्ज्वलित किया था. तभी से देश में दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई. इस दिन लक्ष्मी-गणेश के साथ भगवान राम, माता सीता, मां सरस्वती समेत कई देवी-देवताओं की पूजा का विधान हैं. आइए जानते हैं इस साल किस दिन दिवाली मनाई जाएगी और शुभ मुहूर्त क्या है?

इस दिन मनाई जाएगी दिवाली
दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. ऐसे में 12 नवंबर 2023, रविवार को कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पड़ रही है. यानी इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 रविवार को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 13 नवंबर, सोमवार की दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा. प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना जाता है इसलिए 12 नवंबर, रविवार को दिवाली मनाई जाएगी.

यहां हम आपको प्रदोष काल का मुहूर्त, स्थिर लग्न का मुहूर्त, निशीथ काल का मुहूर्त और चौघड़िया मुहूर्त बता रहे हैं. लेकिन आप स्थिर लग्न और प्रदोष काल के मुहूर्त को सर्वाधिक उपयुक्त मानकर उसी दौरान श्री महालक्ष्मी की पूजा करें. परंपरागत रूप से निशीथ काल में पूजा करने वाले निशीथ काल के दौरान पूजा करें. जो लोग चौघड़िया मुहूर्त को देखकर पूजा करते हैं, वे अपनी परंपरा के अनुसार इसी मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं. क्योंकि चौघड़िया मुहूर्त विशेष रूप से यात्रा के लिए ही प्रयोग किया जाता है. वृषभ लग्न जोकि एक स्थिर लग्न है, उसमें प्रदोष काल के दौरान श्री लक्ष्मी पूजन करना चाहिए.

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल का मुहूर्त: प्रदोष काल 12 नवंबर 2023 को सायं काल 5:28 से 8:07 बजे तक रहेगा, जिसमें वृषभ काल (स्थिर लग्न) 5:39 बजे से 7:33 बजे तक रहेगा. लक्ष्मी पूजा का प्रदोष काल का मुहूर्त का समय सायं काल 5:39 बजे से सायं काल 7:33 बजे तक रहेगा. यह अवधि लगभग 1 घंटा 54 मिनट की होगी.

निशीथ काल का शुभ पूजा मुहूर्त: मां महालक्ष्मी की पूजा के लिए यह निशीथ काल मुहूर्त भी अच्छा माना जाता है जोकि रात्रि 11:39 बजे से रात्रि 12:30 बजे तक रहेगा. यह अवधि लगभग 52 मिनट की होगी.
चौघड़िया पूजा मुहूर्त: अपराह्न मुहूर्त (शुभ का चौघड़िया): 12 नवंबर को दोपहर 13:26 से दोपहर 14:46 बजे तक.
सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर का चौघड़िया): 12 नवंबर को सायं काल 17:29 बजे से रात्रि 10:25 बजे तक.
रात्रि मुहूर्त (लाभ का चौघड़िया): 12 नवंबर की मध्य रात्रि के उपरांत 25:44 बजे से 27:23 बजे तक (13 नवंबर को 1:44 बजे से 3:23 बजे तक).
उषाकाल मुहूर्त (शुभ का चौघड़िया): 13 नवंबर को 5:02 बजे से 6:41 बजे तक.

पूजन सामग्री लिस्ट
दिवाली पूजा के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा, चंदन, अक्षत, गुलाब और चंदन का इत्र, पान का पत्ता, सुपारी, दुर्वा, रुई की बाती, पंचामृत, गुलाब का फुल, गेंदा का फूल, फल, गन्ना, कमल गट्टा, सिंदूर, गोबर, लौंग-इलायची, नारियल, आम का पत्ता, कलावा, खील बताशे, खीर, लड्डू, धूप-दीप, कपूर, कलश में जल, चांदी का सिक्का, घी का दीपक, जनेऊ, दक्षिणा के लिए नोट और सिक्के समेत सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें.

पूजा विधि
1. दिवाली के पूजा के समय साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें.
2. पूजा स्थल के पास एक छोटी चौकी रखें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं.
3. अब भगवान गणेश और में लक्ष्मी की प्रतिमा ऐसे स्थापित करें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में हो.
4. प्रतिमा के सामने कलश स्थापित करें और उस पर नारियल रखें.
5. दो बड़े दीपक प्रज्ज्वलित करें. कलश की ओर चावल से नवग्रह की नौ ढेरियां बनाएं.
6. गणेश जी की ओर चावल की ढेर से सोलह ढेरियां बनाएं.
7. चावल की 16 ढेरियों को सोलह मातृका माना जाता है. सोलह मातृका के बीच स्वास्तिक बनाएं.
8. सबसे पहले पवित्रीकरण के लिए मूर्तियों पर गंगाजल छिड़कें.
9. लक्ष्मी और गणेश जी को फूलों की माला और वस्त्र अर्पित करें.
10. अब पूजा शूरू करें और लक्ष्मी-गणेश को फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य समेत सभी पूजा सामग्री अर्पित करें.
11. मंत्रों का जाप करें और अंत में सभी देवी-देवताओं और नवग्रहों के साथ लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की आरती उतारें.
12. लक्ष्मी पूजन के दौरान अष्टलक्ष्मी महा स्त्रोत या श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं.

 

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