Makar Sankranti: 14 या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति? जानें शुभ मुहूर्त और दान पुण्य की विधि

मकर संक्रांति आमतौर पर हर साल 14 जनवरी को पड़ती है, लेकिन द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल यह त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस बार 14 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है.

Makar Sankranti
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST
  • 14 जनवरी या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति?
  • दान-पुण्य का विशेष महत्व

मकर संक्रांति पूरे भारत में उल्लास के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) साल में पड़ने वाली सभी 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह त्योहार फसल के मौसम की शुरुआत और सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक है. इस दिन के बाद दिन गर्म और लंबे होने लगते हैं और कड़ाके की ठंड खत्म होती है. इसी दिन से सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाएंगे और खरमास समाप्त हो जाएगा. उत्तरायण का ये समय लगभग छह महीने तक रहता है. 

14 जनवरी या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति?

मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं, और गंगा में स्नान करते हैं. मकर संक्रांति आमतौर पर हर साल 14 जनवरी को पड़ती है, लेकिन द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल यह त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस बार 14 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है. 

द्रिक पंचांग के अनुसार इस बार संक्रांति तिथि 15 जनवरी को सुबह 2:45 बजे से शुरू हो रही है. मकर संक्रांति पुण्य काल सुबह 7:15 बजे से रात 8:07 बजे तक 10 घंटे 31 मिनट तक रहेगा और मकर संक्रांति महा पुण्य काल 15 जनवरी की सुबह 7:15 बजे से शुरू होकर रात 9:00 बजे समाप्त होगा.

अलग-अलग नामों से जानी जाती हैं मकर संक्रांति

मकर संक्रांति को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है. उत्तर भारतीय हिंदू और सिख इसे माघी कहते हैं, जो लोहड़ी से पहले मनाया जाता है. महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना में इसे मकर संक्रांति और पौष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. मध्य भारत में इसे सुकरात कहा जाता है, असम में इसे माघ बिहू के नाम से जाना जाता है. वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी कहा जाता है. गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है और तमिलनाडु में इसे इसे पोंगल कहा जाता है. संक्रांति के दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं, दान देते हैं, पतंग उड़ाते हैं, तिल और गुड़ के लड्डू बनाते हैं. इसके अलावा, पूरे भारत में किसान अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं.

दान-पुण्य का विशेष महत्व

गुजरात के अहमदाबाद में यह त्योहार पतंग उड़ाने की लोकप्रिय प्रथा से जुड़ा है. 1989 से इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा भागीरथ के पीछे चलते हुए कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जाकर मिली थीं. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है. तिल और गुड़ का भी मकर संक्रांति पर बेहद महत्व है.

दान-पुण्य की विधि

मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान के बाद अन्न, तिल, गुड़ दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व होता है. मकर संक्रांति के दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है. ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है.

 

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