Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या का क्या है सही डेट, किस समय बन रहा सर्वाथसिद्धि योग, जानिए स्नान, दान और पूजा के नियम

Mauni Amavasya Kab Hai: मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्‍य रूप से संगम में स्‍नान करते हैं. इस दिन जप, तप, ध्यान, स्नान, दान और हवन से कई गुना फल मिलता है.

Mauni Amavasya 2024
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST
  • मौनी अमावस्‍या के दिन गंगा, यमुना सहित किसी भी पवित्र नदी में करें स्नान 
  • दान करने से शुभ फल की होती है प्राप्ति 

हिंदू धर्म में माघ के महीने का बेहद खास महत्व है. इस महीने कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या, माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहलाती है. इस साल 9 फरवरी को मौन अमावस्या है. इस दिन गंगा, यमुना सहित किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन मौन व्रत रखने का भी विधान है. इस दिन लोग पितरों को तर्पण करते हैं. भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है.

शुभ मुहूर्त
9 फरवरी को सुबह 7: 23 बजे से मौनी अमावस्या की तिथि शुरू हो रही है, जो 10 फरवरी 2024 को सुबह 4: 28 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार मौनी अमावस्या 10 फरवरी को जरूर है, लेकिन इसकी पूरी तिथि 9 फरवरी को मिल रही है. इसलिए तर्पण और स्नान दान के लिए 9 फरवरी को अमावस्या उत्तम है. मौनी अमावस्या पर इस बार सर्वाथसिद्धि योग बन रहा है. यह योग सुबह 7 बजे से रात 11 बजे तक रहेगा. इस योग में पूजा का विशेष विधान है. इस योग को किसी भी शुभ कार्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. 

क्यों मनाई जाती है मौनी अमावस्या 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मुनि ऋषि का जन्म हुआ था, इसलिए मुनि शब्द से ही मौनी शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब माघ के महीने में चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ होते हैं, तब मौनी अमावस्या मनाते हैं. चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रहों की ऊर्जा के प्रभाव से इस दिन का महत्व अधिक रहता है, इसलिए मकर में सूर्य और चंद्र के एकत्र होने पर मौनी अमावस्या मनाई जाती है. 

संगम में स्‍नान का है विशेष महत्व
मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है. कहा जाता है कि माघ के महीने में देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्‍य रूप से संगम में स्‍नान करते हैं. इस बार मौनी अमावस्या का स्नान सुबह 4:00 बजे से ही शुरू हो जाएगा. मौनी अमावस्या में पहला स्नान नागा साधु करते हैं. इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान और हवन कई गुना फल देता है. 

इस मंत्र का करें जाप
मौनी अमावस्‍या के दिन ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि. शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्… का 108 बार जाप जरूर करें. जो व्यक्ति इस मंत्र का जाप करता है, उसे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और वह किसी भी प्रकार की समस्या से मुक्ति पा सकता है.

व्रत के नियम
1. मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में करना चाहिए. 
2. पवित्र स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. 
3. इस दिन व्रत का संकल्प लेने के बाद मौन रहने का प्रयास करना चाहिए. 
4. इस दिन भूखे व्यक्ति को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है. 
5. माघ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.  
6. इस दिन मन, कर्म और वाणी के जरिए किसी के लिए अशुभ नहीं सोचना चाहिए. 

किन-किन चीजों का करें दान
मौनी अमावस्या के दिन अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी, सरसों का तेल और गोशाला में गाय के लिए भोजन का दान करना चाहिए. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन गरीब लोगों को जरूरत की चीजों को दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और पाप का नाश होता है. इस दिन जो लोग अपनी सामर्थ के अनुसार दान करते हैं उनको शुभ फलों की प्राप्ति होती है.  इस दिन कई काम वर्जित हैं, जिसमें मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, देर तक सोना शामिल हैं.

 

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