हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत पुत्र प्राप्ति और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. इसे जितिया या जिउतिया व्रत भी कहते हैं. यह व्रत तीन दिन तक चलता है. इसकी शुरुआत नहाए-खाए के साथ होती है. दूसरे दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और तीसरी दिन व्रत का पारण किया जाता है. रक्षाबंधन और जन्माष्टमी की तरह जितिया की तारीख को लेकर भी लोग कन्फ्यूज हो रहे हैं. कोई व्रत रखने का दिन 17 सितंबर बता रहा तो कोई 18 सितंबर सही तारीख कह रहा है.
जीवित्पुत्रिका व्रत कब?
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस बार यह व्रत 18 सितंबर 2022, रविवार को निर्जला रखा जाएगा जिसकी तिथि दोपहर 04 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. अगले दिन यानी 19 सितंबर सुबह 06 बजकर 10 मिनट सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाएगा.
क्या है सही पूजन विधि?
सुबह नहाने के बाद गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ करें और एक छोटा सा तालाब बनाएं. अब शालीवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की प्रतिमा जल में स्थापित करें. इसके बाद पीले और लाल रुई से उन्हें सजाएं और धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला से उनका पूजन करें. पूजा के दौरान जीवित्पुत्रिका की व्रत कथा जरूर पढ़ें. इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करें. संतान को सुरक्षा कवच के रूप में वो धागा उन्हें पहना दें.
क्या रखें सावधानी?