Sakat Chauth 2023: कब है संतान के लिए होने वाला सकट चौथ... जानिए इसका महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Magh Chaturthi 2023: सकट चौथ संतान की खुशहाली के लिए रखा जाता है. इस दौरान महिलाएं व्रत करती हैं. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और संतान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

10 जनवरी 2023 को है सकट चौथ व्रत
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST
  • संतान के लिए रखा जाता है सकट चौथ व्रत
  • 10 जनवरी 2023 को है सकट चौथ

सकट चौथ ऐसा व्रत है, जिसे संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखा जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सकट चौथ मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखने की परंपरा है. इसे सकट चौथ के अलावा संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी भी कहते हैं. मान्यता है कि सकट चौथ के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है. संतान के जीवन में आने वाली सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक सकट चौथ का व्रत माता पार्वती ने कार्तिकेय से मिलने और भगवान शंकर ने माता पार्वती को खुश करने के लिए किया था. चलिए आपको साल 2023 के पहले सकट चौथ की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

कब है सकट चौथ-
माघ माह का कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत रखा जाता है. इस साल सकट चौथ 10 जनवरी 2023 को पड़ रहा है. 10 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन यानी 11 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट इसका समापन होगा. वैसे तो सकट चौथ के लिए उदया तिथि 11 जनवरी को प्राप्त हो रही है. लेकिन सकट चौथ पर चंद्रमा की पूजा का खास विधान है, इसलिए व्रत 10 जनवरी को ही किया जाएगा. सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 50 मिनट पर है. इस समय चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित माना जाता है. इसलिए चांद देखने से बचना चाहिए.

सकट चौथ की पूजा विधि-
सकट चौथ संतान की उम्र और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है. इसलिए इसको पूरे विधि-विधान से करना चाहिए. चलिए आपको बताते हैं कि इस व्रत का ज्यादा से ज्यादा लाभ कैसे उठाया जा सकता है. किस विधान से पूजा करने से भगवान की कृपा सबसे ज्यादा होगी.

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए.
  • व्रती महिलाओं को लाल या पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए.
  • स्नान के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करना चाहिए.
  • भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी की भी मूर्ति को रखना चाहिए.
  • इसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा शुरू करनी चाहिए.
  • सबसे पहले गणेश जी और मां लक्ष्मी को रोली और अक्षत लगाना चाहिए.
  • उसके बाद फूल दूर्वा, मोदक भगवान गणेश को चढ़ाना चाहिए.
  • सकट चौथ पर तिल का विशेष महत्व है. इसलिए भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग जरूर लगाना चाहिए.
  • इसके बाद ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करना चाहिए.
  • अंत में सकट चौथ व्रत की कथा सुनना चाहिए और आरती करना चाहिए.
  • रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर सकट चौथ व्रत संपन्न करना चाहिए.

पूजा में क्या नहीं करना चाहिए-
भगवान गणेश की पूजा में तुलसी के पत्ते का भूलकर भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एक कथा के मुताबिक तुलसी ने गणेश की तपस्या भंग की थी. जिसके बाद भगवान ने तुलसी को अपनी पूजा में शामिल नहीं करने का श्राप दिया था. व्रती महिलाओं को काले रंग का कपड़ा नहीं पहनना चाहिए. व्रती महिलाओं को कंदमूल वाले फल या सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए.

सकट चौथ व्रत का महत्व-
सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा का विधान है. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सबसे ज्यादा लाभ होता है. व्रत करने वाले भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है. एक पौराणिक कथा के मुताबिक इसी दिन भगवान गणेश ने भगवान शंकर और माता पार्वती की परिक्रमा की थी. सकट चौथ का व्रत रखने से संतान के लिए फलदायी होता है. संतान के सारे दुख खत्म हो जाते हैं. संतान को लंबी उम्र मिलती है. तनाव, नकारात्मकता, तनाव और बीमारियों से संतान को छुटकारा मिलता है. संतान पक्ष से माता को शुभ समाचार मिलता है. इस दिन व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.

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