राजस्थान के अलवर में स्वयंसेवकों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने हिंदू (Hindu ) का मतलब बताया. उन्होंने हिंदू को दुनिया का सबसे उदारतम मानव बताया है.
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सबके कल्याण की कामना करता है और जो सब कुछ स्वीकार करता है. उन्होंने हिंदू समाज को देश का कर्ता-धर्ता बताया. मोहन भागवत ने कहा कि जिसे आमतौर पर हिंदू धर्म कहा जाता है, वह संक्षेप में एक सार्वभौमिक मानव धर्म है. उन्होंने कहा, हिंदू सबकी भलाई चाहता है. भागवत के बयान के बाद पूरे देश में एक बार फिर हिंदू की चर्चा होने लगी है. आइए जानते हैं इस धर्म का आखिर मतलब क्या है और संप्रदाय और धर्म में क्या अंतर होता है?
स्वयंसेवकों से पांच विषय अपने जीवन में उतारने का आह्वान
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जब इन बातों को स्वयंसेवक अपने जीवन में उतारेंगे तब समाज भी इनका अनुसरण करेगा.
सबसे पहले जानते हैं हिंदू शब्द की कैसे हुई उत्पत्ति
भारत में सबसे अधिक आबादी हिंदुओं की है. हिंदू शब्द की उत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में एक राय नहीं है. कई इतिहासकारों का मानना है कि हिंदू शब्द को सबसे पहले 8वीं शताब्दी में अरबों ने इस्तेमाल किया था. कहा जाता है कि जब मध्य काल में अरब भारत आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया. सिंधु एक संस्कृत नाम है. उनकी भाषा में स शब्द नहीं होने के कारण वे सिंधू कहने में असमर्थ थे इसलिए उन्होंने सिंधू शब्द के उच्चारण के स्थान पर हिंदू कहना शुरू किया.
इस तरह से सिंधू नदी के किनारे रहने वाले लोगों को हिंदू कहा जाने लगा. उधर, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि हिंदू शब्द अरबों और ईरानियों के इस्तेमाल से पहले से मौजूद था. इनका तर्क है कि विशालवक्ष शिव द्वारा लिखित बार्हस्पत्य शास्त्र जिसका संक्षेप खुद बृहस्पति जी ने किया है, इसमें भी हिंदू शब्द का जिक्र मिलता है. हालांकि यह किताब कब लिखी गई थी, इसके ठोस साक्ष्य किसी के पास मौजूद नहीं हैं. उधर, अलबरूनी कि किताब में हिन्द और सिंध दोनों शब्दों का प्रयोग है. यही वजह है कि बहुत से लोग ये मानने को तैयार नहीं होते कि सिंध से हिंद बना है.
अब जानते हैं आखिर हिंदू होने का क्या है मतलब
अब हम जानते हैं कि क्या हिंदू देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करनेवाले और हिंदुओं के त्योहार मनाने वाले ही हिंदू हैं या फिर हिंदू होने का अर्थ कुछ और है? सुप्रीम कोर्ट ने साल 2005 के एक फैसले में हिंदुत्व को विस्तार देते हुए कहा था-हिंदुत्व एक जीवन शैली है. हिंदू शब्द की कोई परिभाषा नहीं है. ऐसा शख्स भी हिंदू हो सकता है, जो धर्म से तो हिंदू हो, लेकिन मंदिर जाकर पूजा करने में विश्वास न रखता हो.
अदालत ने यह बात देवसम मंदिर मामले में सुनवाई करते हुए कही थी. उधर, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर का मानना है कि हिंदू धर्म को एक संस्कृति से बांध देंगे तो इसका दायरा बहुत सीमित हो जाता है. हिंदुत्व को संस्कृतियों के आर-पार जाने वाली जीवनशैली के रूप में देखा जाना चाहिए. आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव हिंदुत्व को भौगोलिक पहचान से जोड़कर देखते हैं. उनका मानना है कि हिमालय और हिंद महासागर के बीच की जमीन पर रह रहे लोग हिंदू हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि हिंदू को एक धर्म नहीं, जीवन जीने की शैली के तौर पर देखा जाना चाहिए.
सनातन धर्म को ही कहा जाता है हिंदू धर्म
सनातन धर्म को ही हिंदू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से जाना जाता है. इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में जाना जाता है. सनातन का शाब्दिक अर्थ है- शाश्वत या सदा बना रहने वाला, यानी जिसका न आदि है न अंत. गीता में भी सनातन धर्म का उल्लेख मिलता है. भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च, नित्य: सर्वगत: स्थाणुरचलोऽयं सनातन:. अर्थात्- हे अर्जुन! जो छेदा नहीं जाता, जलाया नहीं जाता, जो सूखता नहीं, जो गीला नहीं होता, जो स्थान नहीं बदलता. ऐसे रहस्यमय व सात्विक गुण तो केवल परमात्मा में ही होते हैं, जो सत्ता इन दैवीय गुणों से परिपूर्ण हो, वही सनातन कहलाने के योग्य है.
भगवान कृष्ण इस श्लोक के जरिए कहते हैं कि जो न तो कभी नया रहा, न ही कभी पुराना होगा, न ही इसकी शुरुआत है, न ही इसका अंत है. अर्थात् ईश्वर को ही सनातन कहा गया है. भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में हिंदू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं. यह धर्म ज्ञात रूप से लगभग 12000 वर्ष पुराना है जबकि कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म 90 हजार वर्ष पुराना है.
संप्रदाय और धर्म में क्या है अंतर
धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, धारण करने योग्य, अर्थात् जिसे सबको धारण करना चाहिए यह धर्म है. धर्म शब्द सनातन परंपरा से आया है लेकिन ये कोई समूह नहीं है. संप्रदाय एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है परंपरा या धार्मिक प्रणाली. धर्म एक विश्वास प्रणाली को संदर्भित करता है, जबकि संप्रदाय किसी धर्म के भीतर एक विशिष्ट शाखा या उपसमूह है.
धर्म एक व्यापक विश्वास प्रणाली है, जबकि संप्रदाय किसी धर्म के भीतर एक विशिष्ट उपसमूह है, जिसमें अलग-अलग प्रथाएं या विश्वास होते हैं. धर्म का अर्थ होता है सही काम करना या अपने कर्तव्य पथ पर चलना. धर्म को नियम भी कहा जा सकता है. हर धर्म के अपने कुछ विशेष नियम और रीति-रिवाज होते हैं. इससे उस धर्म को एक अलग पहचान मिलती है. दुनिया में कई धर्म पाए जाते हैं जैसे सनातन धर्म, इस्लाम धर्म, सिख और ईसाई धर्म. हिंदू धर्म में ऐसा कोई एकल आधिकारिक ग्रंथ नहीं है, जो ईसाइयों के लिए बाइबिल या मुसलमानों के लिए कुरान की तरह काम करता हो. इसके बजाय, ग्रंथों के कई अलग-अलग संग्रह हैं. वेद सबसे पुराने हिंदू पवित्र ग्रंथ हैं. महाभारत दुनिया की सबसे लंबी महाकाव्य है, जिसका सबसे प्रसिद्ध भाग भगवद-गीता है. रामायण हिंदू धर्म में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्य है.