आखिर क्यों पिछले 3 साल नहीं चढ़ रहा Shirdi में साई बाबा को फूलों का चढ़ावा? अब Bombay High Court ने दी इजाजत

यह मामला 2021 में दायर एक जनहित याचिका (PIL) से जुड़ा है. इसमें मंदिर प्रबंधन को लेकर सवाल उठाए गए थे. फूल चढ़ाने पर प्रतिबंध 2020 में महामारी के दौरान एहतियात और मंदिर परिसर की सफाई तथा कचरा प्रबंधन की चिंताओं के कारण लगाया गया था.

Shirdi Sai Baba
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST
  • संतुलन बनाने की कोशिश की गई
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने दी फूलों की इजाजत

बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसले में शिरडी के श्री साईं बाबा संस्थान में फूल और माला चढ़ाने की अनुमति देकर हजारों भक्तों के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है. इस प्रथा को कोविड-19 महामारी के कारण तीन साल से स्थगित किया हुआ था, अब ये फिर से शुरू होने जा रही है. 

दरअसल, पिछले तीन सालों से, साईं बाबा के चरणों में फूल चढ़ाने की गहरी आस्था से जुड़ी परंपरा भक्तों के लिए बंद थी. 14 नवंबर को, जस्टिस मंगेश पाटिल और शैलेश ब्रह्मे की बेंच ने मंदिर की एड-हॉक कमेटी और फूल विक्रेताओं द्वारा दायर आवेदनों की समीक्षा की और प्रथा को फिर से शुरू करने के पक्ष में फैसला सुनाया. 

कोर्ट ने कहा, “संस्थान को प्रस्ताव संख्या 277 के तहत फूल चढ़ाने की अनुमति देना उचित होगा. लेकिन कचरे के निपटारे के लिए एक व्यवस्थित योजना की जरूरत है.” 

संतुलन बनाने की कोशिश
यह मामला 2021 में दायर एक जनहित याचिका (PIL) से जुड़ा है. इसमें मंदिर प्रबंधन को लेकर सवाल उठाए गए थे. फूल चढ़ाने पर प्रतिबंध 2020 में महामारी के दौरान एहतियात और मंदिर परिसर की सफाई तथा कचरा प्रबंधन की चिंताओं के कारण लगाया गया था. हालांकि, इस प्रतिबंध से भक्त और फूल विक्रेता काफी नाखुश थे, खासकर वो लोग जिनकी आजीविका मंदिर पर निर्भर थी.

संस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट अनिल एस. बाजाज ने बताया कि इस निर्णय को सभी संबंधित पक्षों फूल विक्रेता और भक्तों की चिंताओं को ध्यान में रखकर लिया गया है. उन्होंने कहा, “फूल सहकारी समिति से खरीदे जाएंगे, जिसे मंदिर के कर्मचारियों द्वारा चलाया जाता है, और इन्हें मंदिर परिसर में उचित दरों पर बेचा जाएगा.”  

एडवोकेट अनिल ने यह भी बताया कि पहले इस्तेमाल किए गए फूलों को अगरबत्ती बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों के साथ समझौते के तहत प्रोसेस किया जाता था. उन्होंने सुझाव दिया कि इस प्रक्रिया को फिर से अपनाया जा सकता है.

इससे जुड़ी हैं कई चिंताएं  
हालांकि, सभी इस फैसले से सहमत नहीं थे. वकील पी.एस. तलेकर ने भक्तों के शोषण और अनधिकृत फूल विक्रेताओं के फिर से सक्रिय होने की संभावना को लेकर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि अगर कुछ सुरक्षा उपाय नहीं किए गए तो इससे भक्तों के साथ जबरन पैसा वसूली होगी. 

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सरकारी वकील ए.बी. गिरासे ने भी इसी तरह की चिंताओं को उठाया. उन्होंने तर्क दिया, “पहले लगाया गया प्रतिबंध भक्तों के शोषण से बचाने और मंदिर की स्वच्छता बनाए रखने के उद्देश्य से था.”

कोर्ट की चेतावनी
फूल चढ़ाने की अनुमति देते हुए कोर्ट ने संस्थान की कचरा प्रबंधन योजना पर चिंता जाहिर की. कोर्ट ने कहा, “अगर फूलों का ई-ऑक्शन या ई-टेंडर के जरिए निपटान होगा तो यह कैसे सुनिश्चित होगा कि इनका इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में ही हो रहा है. 

कोर्ट ने एड-हॉक कमेटी से जल्द से जल्द एक ठोस योजना बनाने का आग्रह किया ताकि किसी भी तरह की व्यवस्थागत और पर्यावरणीय चुनौती से बचा जा सके.

गौरतलब है कि फूलों के बैन होने से कई विक्रेताओं की आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई थी. माला और फूलों की रंगीन दुकानें हमेशा से शिरडी के अनुभव का अभिन्न हिस्सा रही हैं. अब एक बार फिर से साई बाबा पर फूलों का चढ़ावा हो सकेगा. 
 

 

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