उत्तर प्रदेश के वाराणसी में देव दीपावली के जश्न की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 19 नवंबर को देशभर में यह त्योहार मनाया जाएगा. वैसे तो हर साल यह त्योहार मनता है लेकिन कोरोना काल के बाद की यह देव दीपावली बहुत ही खास है.
इसलिए इसकी तैयारियां भी भव्य स्तर पर की जा रही हैं. बताया जा रहा है कि वाराणसी एक 84 घाट दीयों से जगमगाएंगे. योजना है कि इस बार 15 लाख दीये जलाए जाएंगे, जिनमें से 12 लाख सिर्फ घाटों पर होंगे. वाराणसी प्रशासन के साथ-साथ पर्यटन विभाग भी पूरे जोर-शोर से पर्यटकों के लिए व्यवस्था कर रहा है.
क्यों मनायी जाती है देव दीपावली:
हर साल दीपावली के त्योहार के 15वें दिन कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली मनायी जाती है. हम सब जानते हैं कि हिंदू धर्म में कार्तिक के महीने का बहुत ज्यादा महत्व है. और कार्तिक पूर्णिमा तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है.
मान्यता है कि प्राचीन काल में त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस था. जिसके आतंक से सभी देवता त्रस्त थे. इस राक्षस से निजात पाने के लिए सभी देवतागण मिलकर महादेव के पास गए. और देवताओं की प्रार्थना सुन महादेव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का संहार किया था.
भयानक राक्षस से मुक्ति पाकर दवताओं ने शिव आराधना की. और महादेव की नगरी काशी पहुंचकर दीये जलाए और उत्सव मनाया. तब से ही देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है.
देव दीपावली का महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व है. पूरे कार्तिक माह में लोग दान, तप और जाप आदि करते हैं. क्योंकि मान्यता है कि इस महीने में सभी पुण्य कर्मों का दुगुना फल मिलता है. क्योंकि कार्तिक के महीने में ही माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था. और कार्तिक माह में ही देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जगते हैं.
जिसके बाद सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. देव दीपावली के दिन ही गुरु नानक की जयंती भी मनाई जाती है. देव दीपवाली के दिन दीप दान का बहुत पुण्य मिलता है. कहते हैं कि इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. जिस कारण वाराणसी में इस दिन दूर-दूर से लोग गंगा स्नान के लिए भी जाते हैं.
इसलिए इस बार वाराणसी में देव दीपावली की तैयारियां देखते ही बनती हैं. प्रशासन की कोशिश यही है कि इस बार की देव दीपवाली न सिर्फ वाराणसी के बल्कि दूसरी जगहों से आने वाले लोगों के लिए खास हो.
अद्भुत होगा भगवान शिव की नगरी का नजारा:
वाराणसी क देव दीपावली विश्व प्रसिद्द है. कहा जाता है कि काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी हुई है. इसलिए दूर-दूर से लोग इस नगरी में आती हैं. ऐसे में, यहां हर त्योहार भव्य हो जाता है. इसलिए देव दीपावली के मौके पर उत्तर वाहिनी गंगा के घाट और आसपास का पूरा इलाका दीयों से जगमगाएगा.
12 लाख दीये 84 गंगा घाटों पर तो तीन लाख दीये किनारे रहने वाले लोग और अन्य समितियों द्वारा प्रज्ज्वलित किए जाएंगे. कशी के हर कुंड और तालाब में भी दीये जलेंगे और अर्धचंद्राकार घाट दीपमालाओं से सुसज्जित होंगे. साथ ही, गंगा के रेत पर यानी की गंगा के दोनों तरफ दीये जलाए जाएँगे.
कोरोना से उबर रहा है देश, पर्यटकों के आने की बढ़ी उम्मीद:
वाराणसी भारत की सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि पर्यटन नगरी भी है. कोरोना महामारी से पहले लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक घूमने के लिए यहां आते थे. लेकिन पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के कारण पर्यटकों का आना नहीं हुआ है.
हालांकि, पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही देव दीपावली मनाई थी. लेकिन इस बार फिर से बाहर के पर्यटकों के आने की उम्मीद है. जिस कारण पर्यटन विभाग अलग-अलग आयोजन करने की तैयारी में है. विभाग द्वारा हॉट एयर बैलून और लेज़र शो जैसे इवेंट प्लान किए हैं.
चेत सिंह घाट पर लेज़र शो और अस्सी घाट पर ई-आतिशबाजी होगी. साथ ही, कारगिल के शहीदों और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल आयोजन होता है. कई समितियां जैसे गंगा सेवा निधि हर बार शहीदों के लिए इस दिन श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करती है.
दशाश्वमेध घाट पर इसके लिए इंडिया गेट की प्रतिकृति भी बनायी जा रही है. यहाँ शहीदों के सम्मान में उनको गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया जाएगा. कारगिल विजय के बाद से यह परम्परा शुरू हुई है.
दिया जाएगा बालिका सशक्तिकरण का संदेश:
इस साल देव दीपावली के मौके पर प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र से बालिका सशक्तिकरण और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का संदेश भी देंगे. जिसके लिए देव दीपावली पर गंगा पूजन के बाद सबसे पहले 51 कन्याओं से माँ गंगा की आरती करायी जाएगी.
यह बहुत ही अलग पहल है और इसकी सभी तैयारियां हो चुकी हैं.