कहते हैं कि इस महीने में देवी-देवताओं की कृपा से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. हिन्दू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ का महीना है. यह संधि काल का महीना है, इसी महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है. इस महीने में रोगों का संक्रमण सर्वाधिक होता है. इस महीने से वातावरण में थोड़ी सी नमी आनी शुरू हो जाती है. इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है. इस बार आषाढ़ मास 15 जून से 13 जुलाई तक रहेगा.
आषाढ़ माह के व्रत और पर्व-
कहते हैं पूजा उपासना से शक्ति से हर कष्ट से मुक्ति मिल सकती है. सच्चे मन और पूर्ण श्रृद्धा से अगर जप तप किया जाए. तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है. लेकिन आषाढ़ माह में कौन कौन से व्रत और पर्व आते हैं. चलिए अब आपको ये बताते हैं...
आषाढ का महीना बड़ा ही पावन और पवित्र माना गया है. इस महीने की पूजा उपासना से देवी देवताओं की विशेष कृपा साधक पर बनी रहती है. कहते हैं आषाढ़ के महीने में जप, तप, पूजा उपासना और स्नान दान का बड़ा ही महत्व है. इसीलिए इस महीने को ज्योतिष में भी बहुत खास माना गया है.
पूजा-उपासना से होगा कल्याण-
जानकारों की अगर मानें तो आषाढ़ के महीने में की गई उपासना कभी निष्फल नहीं होती. लेकिन सवाल ये कि आषाढ़ के महीने में किन किन देवी देवताओं की उपासना मंगलकारी होती है. तो चलिए आपको भी बता देते हैं.
आध्यात्मिक मान्यता है कि सच्चे मन और सच्ची आस्था से आषाढ़ के महीने में ईश्वर की उपासना की जाए. तो सभी कष्टों से आपको मुक्ति मिल सकती है. क्योंकि ये पूरा ही महीना दैवीय कृपा से भरपूर रहता है. इस बार आषाढ़ का महीना बुधवार से शुरू हो रहा है और इस बार महीने के पहले दिन ही भगवान सूर्य अपनी राशि परिवर्तन कर रहे हैं.
आषाढ़ कृष्ण पक्ष के त्योहार-
भगवान विष्णु को समर्पित इस महीने में ध्यान योग साधना का विशेष महत्व है. इसीलिए अब आपको बताते हैं कि आने वाले 30 दिनों में आपको दैवीय कृपा पाने के लिए कौन कौन सी महत्वपूर्ण तिथियां मिलने वाली हैं. जिन पर मनाया जाएगा मुख्य पर्व और त्योहार.
आषाढ़ शुक्ल पक्ष के त्योहार-
आषाढ़ के कृष्ण पक्ष की तिथियों के बाद ही आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही माता दुर्गा की उपासना का गुप्त नवरात्र शुरू होगा. गुप्त नवरात्र को सिद्धियां प्राप्त करने के लिए उपासना का सबसे उत्तम समय माना गया है. हिंदू कैलेंडर में साल में जागृत नवरात्र और दो गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना का विधान बताया गया है.
आषाढ़ महीने की महिमा बताते हुए धर्म शास्त्र इस माह को कामना पूर्ति का माह कहते हैं, क्योंकि इस महीने में भगवान विष्णु के साथ साथ भगवान सूर्य, भगवान शिव के साथ साथ गुरू का भी सानिध्य मिलता है. और इसी महीने में देव चार महीने के शयन के लिए चले जाते हैं. ऐसे में देवों के शयन से पहले उनसे वरदान पाने का ये सबसे अहम पड़ाव होता है.
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