चैत्र नवरात्रि का आज आठवां दिन है. इस दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने इनको दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौर हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका संबंध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है. इस बार मां गौरी की पूजा 16 अप्रैल को की जाएगी.
क्या है माँ गौरी की पूजा विधि ?
पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरंभ करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें . उसके बाद इनके मंत्रों का जाप करें. अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाए तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे.
मनचाहा विवाह के लिए ऐसे करें पूजा
मां की उपासना सफ़ेद वस्त्र धारण करके करें. मां को सफ़ेद फूल , और सफ़ेद मिठाई अर्पित करें. साथ में मां को इत्र भी अर्पित करें. माता की पूजा से मनचाहा विवाह हो जाता है. साथ ही शुक्र से संबंधित समस्याएं भी हल होती हैं
अष्टमी तिथि के दिन कन्याओं को भोजन कराने का महत्व और नियम
नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है. यह नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है. इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है. हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है , परन्तु अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती है. 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है. अलग अलग उम्र की कन्या देवी के अलग अलग रूप को बताती है.
नवरात्रि का महाउपाय
अगर किसी बालिका का विवाह न हो पा रहा हो तो अष्टमी तिथि को मां दुर्गा को पीली साड़ी और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. इससे आपका विवाह शीघ्र सम्पन्न हो सकेगा.