प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले के विभिन्न शिविरों में से एक शिविर इन दिनों खास चर्चा में है. इस शिविर में यमराज की पूजा हो रही है, और इसे राजस्थान के चुरू जिले से आईं संयोगिता माता संचालित कर रही हैं. संयोगिता माता का उद्देश्य सिर्फ यमराज की पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि वे चुरू में यमराज का एक विशाल और भव्य मंदिर बनाने जा रही हैं. यह धरती पर पहला यमराज धाम होगा.
गंगा जल और मिट्टी के साथ लौटेंगी संयोगिता माता
संयोगिता माता ने यमराज के मंदिर के लिए प्रयागराज के संगम तट पर जाकर विशेष पूजा-अर्चना की. उन्होंने गंगा जल और संगम की पवित्र मिट्टी को मंदिर निर्माण के लिए अपने साथ ले जाने का संकल्प लिया है. पूजा के बाद वे राजस्थान रवाना होने की तैयारी कर रही हैं.
यमराज से डरने की बजाय कर्मों से डरें
संयोगिता माता का कहना है कि लोग बिना कारण यमराज से डरते हैं. असल में यमराज किसी के जीवन को लेकर या मृत्यु का भय दिखाने के लिए नहीं आते, बल्कि वे तो मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय और दंड देने वाले देवता हैं. उन्होंने कहा, "यमराज से डरने की बजाय लोगों को अपने गलत कर्मों से डरना चाहिए. अगर लोग अपने जीवन में सद्कर्म करेंगे, तो उन्हें मृत्यु के बाद भी कोई भय नहीं रहेगा."
मंदिर निर्माण की प्रेरणा
संयोगिता माता ने बताया कि वे शिव और शक्ति स्वरूपा माता की उपासक हैं. उनकी आध्यात्मिक यात्रा में शिव और शक्ति ने ही उन्हें यमराज का मंदिर बनाने की प्रेरणा दी है. इस प्रेरणा के बाद उन्होंने चुरू में एक बड़े मंदिर का निर्माण शुरू करने का फैसला लिया.
10,000 वर्गफुट में बनेगा मंदिर
संयोगिता माता राजस्थान के चुरू जिले में धरती के नीचे 10,000 वर्गफुट में यमराज का भव्य मंदिर बनाने जा रही हैं. मंदिर में यमराज की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी और श्रद्धालु यहां आकर पूजा-अर्चना कर सकेंगे. संयोगिता माता का मानना है कि इस मंदिर में पूजा करने और यमराज के दर्शन करने से लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा और उनके कष्टों का निवारण होगा.
आपको बता दें, ऐसा पहली बार है जब यमराज का मंदिर बनने जा रहा है, और लोग इस पहल को लेकर काफी रुचि दिखा रहे हैं. संयोगिता माता का कहना है कि यमराज का यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक जागरूकता लाएगा, बल्कि लोगों को उनके कर्मों के प्रति सचेत भी करेगा.
(आनंद राज की रिपोर्ट)