प्रयागराज महाकुंभ 2025 में शानदार तरीकों के साथ अखाड़ों की पेशवाई हुई. महाकुंभ में 13 अखाड़े आते हैं. और अंत में 'बड़ा अखाड़ा उदासीन' की पेशवाई के साथ ही अखाड़ों की पेशवाई पर विराम लगा. इस अखाड़े ने 12 जनवरी को शिविर में प्रवेश किया.
अखाड़ों की शानदार पेशवाई के रंग
अखाड़ों का शिविर प्रवेश बहुत रंगारंग होता है जिसमें सबसे आगे नागा साधु, फिर हाथी-घोड़े पर सवार संत होते हैं उसके पीछे बगिया पर संत और उनके भक्त होते हैं. बीच में महामंडलेश्वर होते हैं और आगे पीछे डीजे पर तेज स्वर में भजन बजाता है जिस पर भक्त नाचते गाते प्रवेश करते हैं. बड़ा अखाड़ा उदासीन जो की वैष्णो अखाड़ा माना जाता है उसके इस आखिरी शिविर प्रवेश के साथ ही अखाड़े का शिविर प्रवेश पूरा हो गया.
'बड़ा अखाड़ा उदासीन' की पेशवाई
2025 महाकुंभ की यह आखिरी पेशवाही है यानी कि आखिरी अखाड़ा प्रवेश है. बड़ा अखाड़ा उदासीन महाकुंभ का सबसे आखिरी अखाड़ा है यानी कि 13वां अखाड़ा. जिसने शाम के समय शिविर प्रवेश किया.
कैसी रही अखाड़े की पेशवाई
पेशवाई के दौरान आगे की ओर बगियां बनी हुई हैं. आगे-आगे सबसे पहले नागा साधु थे, उसके पीछे बकायदा हाथी गोड़ों पर सवार इनके संत, जिसके बाद इनके संतो की टोली यानी इनके महामंडलेश्वर, जिन्होंने अखाड़ा प्रवेश किया. यह बिल्कुल आखिरी अखाड़ा है इसके बाद कोई अखाड़ा प्रवेश नहीं करेगा. क्योंकि 12 अखाड़े पहले ही अपना शिविर प्रवेश कर चुके हैं.
शाही स्नान कहलाया अमृत स्नान
बड़ा अखाड़ा उदासीन को निर्मल वैश्णो अखाड़ा के नाम से भी जाना जाता है. वह कुछ खास रंग के कपड़े पहनते है. इस अखाड़े के प्रवेश पर पूरे शहर की नजर होती है. कुंभ मेले में इस बार शाही स्नान को अमृत स्नान का नाम दिया गया है. यह अखाड़े अलग-अलग दिन पर अमृत स्नान करेंगे.