चांद की सतह पर तेज रफ्तार में गिरने वाला है 3 टन का कचरा, बन सकता है 66 फीट गहरा गड्ढा

वैज्ञानिक ये भी मान रहे हैं कि चांद की जिस सतह पर इस कचरे के टकराने के आसार हैं, वो जगह काफी दूर है, जहां धरती की दूरबीनों की नजर नहीं पहुंचती है. अब ऐसे में सैटेलाइट तस्वीरों से इस टक्कर को देखने में काफी लंबा वक्त लग सकता है.

चांद की सतह पर तेज रफ्तार में गिरने वाला है 3 टन का कचरा, बन सकता है 66 फीट गहरा गड्ढा
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST
  • 66 फीट गहरा गड्ढा करेगा कचरा
  • धरती की नजर से दूर होगी टक्कर

कई देश आए दिन अंतरिक्ष में तरह-तरह के शोध करते हैं. उसके लिए वो तरह-तरह के रॉकेट भी भेजते हैं. हालांकि कई बार ऐसा भी होता है जब ये रॉकेट अंतरिक्ष में नष्ट भी हो जाते हैं. जाहिर है कि मन में ये सवाल आता होगा कि अगर ये रॉकेट नष्ट हो जाते हैं, तो इससे बचने वाला कचरा कहां जाता है. क्या वो धरती पर गिरता है या अंतरिक्ष में तैरता है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि चांद की सतह पर 3 टन अंतरिक्ष का कचरा गिर सकता है. 

66 फीट गहरा गड्ढा करेगा कचरा
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो ऐसा पहली बार होगा, जब धरती से छोड़े किसी रॉकेट का कोई हिस्सा चांद की सतह से टकराएगा. ये कचरा एक नष्ट हो चुके रॉकेट का अवशेष है. इसकी रफ्तार 9,300 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसकी रफ्तार इतनी तेज है कि इससे चांद की सतह पर 33 फीट से 66 फीट तक का गहरा गड्ढा हो सकता है. वहीं आकार की बात करें तो इसमें ट्रक जितनी कई गाड़ियां समा सकती हैं. ये टक्कर इतनी तेज होगी कि चांद की धूल उड़ कर कई किलोमीटर तक फैलेगी.  

धरती की नजर से दूर होगी टक्कर
वैज्ञानिक ये भी मान रहे हैं कि चांद की जिस सतह पर इस कचरे के टकराने के आसार हैं, वो जगह काफी दूर है, जहां धरती की दूरबीनों की नजर नहीं पहुंचती है. अब ऐसे में सैटेलाइट तस्वीरों से इस टक्कर को देखने में काफी लंबा वक्त लग सकता है. विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि ये कचरा चीन के भेजे गए एक रॉकेट का है, जिसे करीब एक दशक पहले लॉन्च किया गया था.

अपना रॉकेट मानने से चीन कर रहा इंकार
वहीं चीन के अधिकारी इसे अपना रॉकेट मानने से साफ इंकार कर रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के पास ही अंतरिक्ष में तैर रहे कचरे पर नजर रखना आसान होता है. हालांकि गहरे अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली चीजों की किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना कम होती है. बता दें कि शौकिया तौर पर कई बार कुछ अंतरिक्ष पर्यवेक्षक, खगोलीय जासूस की भूमिका निभाते हैं. ऐसे ही एक पर्यवेक्षक बिल ग्रे ने जनवरी में इस रॉकेट के चांद से टकराने का रास्ता पता लगाया था.

चांद पर अब तक नष्ट हो चुके हैं 58 मिशन रॉकेट
गौरतलब है कि चांद पर कई क्रेटर हैं, जिनकी लंबाई लगभग 2,500 किमी है, और ये कम या कोई वास्तविक वातावरण नहीं है. जिस वजह से चांद पर उल्का पिंडों के गिरने की संभावना बनी रहती है. अब क्योंकि चांद पर धरती जैसा वातावरण नहीं है इस कारण ये क्रेटर बने रहते हैं. आपको बता दें कि अब तक चंद्रमा के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए लॉन्च किए गए 58 मिशन रॉकेट नष्ट होकर चांद की सतह पर गिर चुके हैं.

 

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