Chandrayaan-3 की सफलता के बाद अब Mission Aditya L1 तैयार, ISRO सितंबर के पहले हफ्ते में करेगा लॉन्च, जानें क्यों जरूरी है यह सूर्य मिशन 

Aditya-L1 Mission: आदित्य-एल1 मिशन भारत का पहला सूर्य मिशन है, जो सूरज की स्टडी करेगा. इस स्पेसक्राफ्ट में लगे पेलोड्स सूर्य की अलग-अलग तरह से साइंटिफिक स्टडी करेंगे. सूरज पर अब तक अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कुल 22 मिशन भेजे हैं.

Aditya-L1
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:18 AM IST
  • यूआर राव उपग्रह केंद्र में किया गया है आदित्य एल-1 का निर्माण
  • सूर्ययान में लगा VELC सूरज की लेगा HD फोटो 

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सूरज का अध्ययन करने जा रहा है. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने शनिवार को बताया कि अब सितंबर के पहले सप्ताह में आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च होगा. इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. जल्द तारीख की घोषणा की जाएगी. यह सैटेलाइट श्रीहरिकोटा पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि इसरो का अगला टारगेट इसकी लॉन्चिंग करना है. इसके साथ ही भारत सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसी सूर्य का शोध कर चुकी हैं. 

पीएम मोदी के भाषण को बताया प्रेरक 
अहमदाबाद में स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश एम.देसाई ने आदित्य एल-1 के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि हमने आदित्य-एल1 मिशन की योजना बनाई है और यह तैयार है. ब्रिक्स और ग्रीस दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत लौट आए हैं. भारत आने के बाद पीएम मोदी सबसे पहले बेंगलुरु में इसरो सेंटर पहुंचे और वहां भाषण दिया. प्रधानमंत्री के भाषण पर नीलेश एम.देसाई कहते हैं, पीएम मोदी का भाषण बहुत प्रेरक था. माननीय प्रधानमंत्री की घोषणाएं भी हम सभी के लिए प्रेरणादायक रहीं. 

आदित्य-एल1 मिशन 
आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को धरती और सूरज के बीच एल 1 ऑर्बिट में रखा जाएगा. यानी सूरज और धरती के सिस्टम के बीच मौजूद पहला लैरेंजियन प्वाइंट. यहीं पर आदित्य-एल1 तैनात होगा. इस जगह से वह सूरज का अध्ययन करेगा. वह सूरज के करीब नहीं जाएगा. लैरेंजियन प्वाइंट असल में अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस है जहां पर कई उपग्रह तैनात किए गए हैं.  

यह बिंदु पृथ्वी के 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है. आदित्य-एल1 को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 127 दिन का समय लगेगा. आदित्य-एल1 में 7 पेलोड्स लगे हुए हैं. इस मिशन पर 378 करोड़ रुपए की लागत आई है. इस अंतरिक्ष यान को बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किया गया है और दो सप्ताह पहले यह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के इसरो के स्पेसपोर्ट पर पहुंचा है. 

5 साल तक करेगा अध्ययन 
आदित्य-एल1 मिशन के बारे में जानकारी देते हुए इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया था कि ये भारत का पहला सूर्य मिशन है जो सूरज की स्टडी करेगा. इसरो के मुताबिक आदित्य- एल1 स्पेसक्राफ्ट में लगे पेलोड्स सूर्य की अलग-अलग तरह से साइंटिफिक स्टडी करेंगे. आदित्य-एल1 लगभग 5 सालों तक सूर्य की किरणों का अध्ययन करेगा. सूर्ययान में लगा VELC सूरज की HD फोटो लेगा.

क्यों जरूरी है यह मिशन
इसरो के मुताबिक इस मिशन का लक्ष्य सूर्य के क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता, सूर्य के तापमान, कोरोनल मास इजेक्शन, कोरोना के तापमान, अंतरिक्ष मौसम समेत कई दूसरे वैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन करना है. सूर्य की सतह पर प्रचंड तापमान होता है. उसकी सतह पर मौजूद प्लाजमा विस्फोट तापमान की वजह हैं. 

प्लाजमा के विस्फोट की वजह से लाखों टन प्लाजमा अंतरिक्ष में फैल जाता है, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) कहते हैं. ये प्रकाश की गति से पूरे ब्रहाांड में फैल जाता है. कई बार सीएमई धरती की तरफ भी आ जाता है, लेकिन अमूमन धरती की मैगनेटिक फील्ड के कारण पृथ्वी तक पहुंच नहीं पाता. लेकिन कई बार सीएमई धरती की बाहरी परत को भेद कर धरती के वातावरण में घुस जाता है. 

सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन के धरती की तरफ आने पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर काट रहे सेटेलाइट को काफी नुकसान होता है. पृथ्वी पर भी शार्ट वेब संचार में बाधा पैदा होती है. इसलिए मिशन आदित्य एल-1 को सूर्य के नजदीक भेजा जा रहा है, ताकि समय रहते हुए सूर्य की तरफ से आने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और उसकी तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सके. इसके साथ ही शोध की दृष्टि से भी मिशन के कई लाभ हैं. इस अभियान में इसरो कुल सात उपकरण इस वेधशाला के साथ भेज रहा है, जिनमें से चार लगातार सूर्य की निगरानी करेंगे जबकि बाकी तीन आसपास के अंतरिक्ष मौसम का अवलोकन करके आंकड़े जमा करेंगे. 

आदित्य-एल1 में ये हैं महत्वपूर्ण पेलोड्स
1. सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT ): सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर इमेजिंग करेगा. यानी नैरो और ब्रॉडबैंड इमेजिंग होगी.
2. सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SOLEXS ): सूरज को बतौर तारा मानकर वहां से निकलने वाली सॉफ्ट एक्स-रे
किरणों की स्टडी करेगा.
3. हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS): यह एक हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है. यह हार्ड एक्स-रे
किरणों की स्टडी करेगा.
4. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX): यह सूरज की हवाओं, प्रोटोन्स का स्टडी करेगा.
5. प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA): यह सूरज की हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं और उनकी स्टडी करेगा.
6. एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स: यह सूरज के चारों तरफ मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करेगा.

अभी तक भेजे जा चुके हैं 22 सूर्य मिशन 
सूरज पर अब तक अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कुल 22 मिशन भेजे हैं. एक ही मिशन फेल हुआ है. एक ने आंशिक सफलता हासिल की. सबसे ज्यादा मिशन नासा ने भेजे हैं. नासा ने पहला सूर्य मिशन पायोनियर-5 1960 में भेजा था. जर्मनी ने अपना पहला सूर्य मिशन 1974 में नासा के साथ मिलकर भेजा था. यूरोपियन स्पेस एजेंस आअपना पहला मिशन नासा के साथ मिलकर 1994 में भेजा था. नासा ने अकेले 14 मिशन सूर्य पर भेजे हैं.

 

 

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