Venus Mission: सूरज और चांद के बाद अब शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने की है तैयारी, ISRO ने बताया अपना फ्यूचर प्लान

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और सूर्ययान आदित्य L1 की अब तक की प्रगति से ISRO उत्साहित है. अब इसी क्रम में उसने एक और ग्रह के बारे में रिसर्च की योजना बना ली है. खुद इसरो चीफ सोमनाथ ने बताया है कि भारत अब शुक्र ग्रह के लिए अपना मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है.

Venus Mission (Representative Image, Nasa)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ इतिहास रचा. इसके बाद फिर देश का पहला सौर मिशन, आदित्य-एल1 (Aditya-L1) लॉन्च किया गया. अब, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार को जानकारी दी कि सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र के लिए मिशन पहले से ही कॉन्फ़िगर किया गया है और भविष्य के मिशन के लिए पेलोड विकसित किए गए हैं. लॉन्च की तारीख से लेकर अपडेट तक, भारत के मिशन टू वीनस के बारे में सब कुछ जानें, जिसे अनौपचारिक रूप से 'शुक्रयान' के नाम से जाना जाता है. 

किस दिन होगा लॉन्च?
सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी शुक्र ग्रह का अध्ययन करने के लिए एक मिशन, अंतरिक्ष जलवायु और पृथ्वी पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए दो उपग्रहों और मंगल ग्रह पर एक अंतरिक्ष यान उतारने की योजना बना रही है. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने मंगलवार को बताया कि सौरमंडल के इस चमकदार ग्रह शुक्र पर जाने के लिए भारत ने अपना मिशन तैयार करना शुरू कर दिया है. इसके लिए कई पेलोड भी तैयार कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे कई मिशन ऐसे हैं जो अभी सैद्धांतिक चरण में हैं. शुक्र के लिए मिशन तैयार हो रहा है. इसके लिए पेलोड बना लिए गए हैं.' हम एक्सोवर्ल्ड्स नामक एक उपग्रह की भी योजना पर काम कर रहे हैं, जो हमारे सौर मंडल के बाहर के एक्सो-सोलर ग्रहों या ग्रहों को देखने और अन्य सितारों की परिक्रमा करने के लिए एक मिशन है.

इसरो अध्यक्ष ने आगे कहा कि शुक्र एक दिलचस्प ग्रह है और इसकी खोज से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कुछ सवालों के जवाब देने में मदद मिलेगी. वैसे तो कोई आधिकारिक अपडेट नहीं है, लेकिन 'शुक्रयान' की लॉन्च तिथि दिसंबर 2024 में होने की उम्मीद है.

भारत के वीनस मिशन का उद्देश्य क्या है?
शुक्र एक बहुत ही दिलचस्प ग्रह है. शुक्र ग्रह का वातावरण काफी घना है. वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 100 गुना अधिक है और यह एसिड से भरा है. आप सतह में प्रवेश नहीं कर सकते. आप नहीं जानते कि इसकी सतह कठोर है या नहीं. हम यह सब समझने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? पृथ्वी एक दिन शुक्र बन सकती है. मुझें नहीं पता। शायद 10,000 साल बाद हम (पृथ्वी) अपनी विशेषताएं बदल दें. पृथ्वी ऐसी कभी नहीं थी. एस सोमनाथ ने कहा, बहुत समय पहले यह रहने योग्य जगह नहीं थी.

शुक्र ग्रह सूर्य से पृथ्वी की ओर चलने पर दूसरा ग्रह है और पृथ्वी का सबसे नजदीकी ग्रह है. इनर सर्कल में आने वाले 4 ग्रहों में से एक शुक्र ग्रह को अक्सर पृथ्वी का जुड़वा कहा जाता है क्योंकि यह आकार और घनत्व में पृथ्वी के जैसा ही है. इससे पहले ESA के वीनस एक्सप्रेस ने साल 2006 से 2016 के बीच शुक्र ग्रह का चक्कर लगाया था. वहीं, जापान का अकटसुकी वीनस (Akatsuki Venus)क्लाइमेट ऑर्बिटर 2016 से अभी तक सक्रिय है. नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र ग्रह के कई चक्कर लगाए हैं. पिछले साल 9 फरवरी को नासा ने बताया था कि उसके स्पेसक्राफ्ट ने पहली बार शुक्र की सतह की साफ तस्वीर खींची है.

नाम रहीं ये उपलब्धियां
इस बीच, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की विजयी सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च किया. केवल छह दशकों में, भारत तेजी से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और एक्सप्रलोरेशन में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरा है, जिसका श्रेय इसरो को जाता है. लूनर एक्सप्रलोरेशन के लिए चंद्रयान मिशन, 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान)  और 2015 में एस्ट्रोसैट की शुरुआत, जो देश की पहली समर्पित खगोलीय खोज को चिह्नित करती है के साथ इसरो की ख्याति अंतरिक्ष अन्वेषण में भी फैली हुई है.

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