धरती के साथ अब स्पेस में भी अब कचरा बढ़ता जा रहा है. लेकिन इसको लेकर अब कई संस्थाएं जागरूक हो रही हैं. इसी कड़ी में अब यूएस फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (FCC) ने पहली बार उस कंपनी पर जुर्माना लगाया है जिसने उसके अंतरिक्ष-मलबा विरोधी नियम (anti-space debris rule) का उल्लंघन किया है.
बढ़ गया ऑर्बिटल डेब्रिस का खतरा
दरअसल, डिश नेटवर्क अपनी इकोस्टार-7 सैटेलाइट, जो दो दशकों से ज्यादा समय से अंतरिक्ष में है, को डीऑर्बिट करने में विफल हो गया था. इसी वजह से आयोग को $150,000 यानि 1.2 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है. सैटेलाइट को ठीक से डीऑर्बिट करने के बजाय, डिश ने इसे इतनी कम ऊंचाई पर "डिस्पोजल ऑर्बिट" में भेज दिया, जिससे ऑर्बिटल मलबे का खतरा पैदा हो गया.
2002 में किया था लॉन्च
2002 में, डिश ने सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में लॉन्च किया था. ये अंतरिक्ष का एक क्षेत्र है जो पृथ्वी से 22,000 मील (36,000 किमी) ऊपर शुरू होता है. यह 2012 में एक ऑर्बिटल डेब्रिस मिटिगेशन प्लान पर सहमत हुआ था. इसके तहत कहा गया था कि इकोस्टार -7 के मिशन के पूरा होने पर, सैटेलाइट को 186 मील (300 किमी) ऊपर जहां यह तैनात था, एक "ग्रेवयार्ड ऑर्बिट” में भेजा जाएगा जहां इससे दूसरी एक्टिव सैटेलाइट को कोई खतरा नहीं होगा.
लेकिन 2022 में, डिश को एहसास हुआ कि सैटेलाइट में प्रोपेलेंट कम था, जो उसके टारगेट तक जाने के लिए पर्याप्त नहीं था. इसके बजाय, वह अपने टारगेट से 178 किमी दूर तक ही पहुंच पाया.
क्या है स्पेस डेब्रिस?
दरअसल, ‘स्पेस डेब्रिस’ का मतलब अंतरिक्ष में मौजूद कचरे/मलबे से है. नासा की कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अगर ऐसे ही पृथ्वी से सैटेलाइट या चीजें जाती रहीं और वह अच्छे से डिस्पोज नहीं हुईं तो यह मलबा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बहुत करीब आ सकता है. जिससे कई हद तक नुकसान हो सकता है.
स्पेस में ही घूम रहा कचरा
ये स्पेस डेब्रिस लगातार पिछले कई सालों से बढ़ रहा है. इसका कारण है कि पिछले कई सालों से कोई न कोई देश स्पेस में टेस्टिंग और एक्सपेरिमेंट कर रहा है. जब ये टेस्ट सफल नहीं होते हैं तो एयरक्राफ्ट के कई हिस्से स्पेस में ही टूट जाते हैं या बेकार सैटेलाइट अंतरिक्ष में एक-दूसरे से टकराकर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. ये कचरा ठीक धरती के कचरे जैसा ही है. ये सब स्पेस में ही घूम रहा है.