अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा. ऐसा करने का फैसला बुधवार को यूपी कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के 16 नगर निगमों तथा नोएडा को भी सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा. सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का मतलब है कि शहर की पारंपरिक ऊर्जा की अनुमानित कुल मांग की न्यूनतम 10 प्रतिशत ऊर्जा शहर क्षेत्र में स्थापित सोलर पावर प्लांट से पूरी की जाएगी. नीति के अंतर्गत साल 2011 की नगर निगम क्षेत्र की जनगणना के अनुसार 100 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से राज्य सरकार द्वारा नगर निगमों, नोएडा सिटी को सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी.
इससे रोजगार भी मिलेगा
सोलर पावर प्लांट की रख-रखाव के लिए अतिरिक्त जनशक्ति का सृजन किया जाएगा. इसके लिए 30,000 युवकों को सोलर पावर प्लांट के रखरखाव के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हें ‘सूर्य मित्र’ का नाम दिया जाएगा. इस प्रकार इन ‘सूर्य मित्रों’ के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे. मंत्रिपरिषद ने निजी आवासों पर नेट मीटरिंग व्यवस्था के साथ ग्रिड संयोजित सोलर सिस्टम की स्थापना पर भारत सरकार से उपलब्ध केन्द्रीय वित्तीय सहायता के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा 15,000 रुपये प्रति किलोवॉट, अधिकतम 30,000 रुपये प्रति उपभोक्ता के राज्य अनुदान की अनुमन्यता को भी स्वीकृति दे दी है.
इसमें नीति काल अवधि में हर साल 800 करोड़ रुपये अनुदान और 5 साल में 4,000 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया है. सरकारी संस्थानों एवं प्रदेश के समस्त शिक्षण संस्थानों के भवनों पर नेट मीटरिंग के साथ सोलर रूफटॉप परमिट किया गया है. इसके अलावा ग्राम पंचायत/राजस्व भूमि को सरकारी उपक्रमों को सोलर पावर पार्क/सोलर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए 30 वर्ष के लिए 01 रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष पर उपलब्ध कराए जाने एवं निजी क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना हेतु ग्राम पंचायत, राजस्व की भूमि 15,000 रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष 30 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर उपलब्ध कराये जाने की स्वीकृति दी है.
‘उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022’ के तहत उत्तर प्रदेश में आगामी 05 वर्षाे में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से 22,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है. इसमें सोलर पार्क की स्थापना से 14,000 मेगावाट, सोलर रूफटॉप (आवासीय क्षेत्र) से 4,500 मेगावॉट, सोलर रूफटॉप (गैर-आवासीय संस्थान) से 1,500 मेगावॉट तथा पीएम कुसुम योजना घटक सी-1 एवं सी-2 से 2,000 मेगावॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य भी है. नीति के क्रियान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीनेडा) को नोडल एजेंसी नामित किया गया है.
5 मेगावाट और उससे ज्यादा क्षमता के सोलर पार्क की स्थापना
5 मेगावाट अथवा उससे अधिक क्षमता के स्टोरेज सिस्टम के साथ स्थापित सोलर पार्कों को 2.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की दर पूँजीगत उपादान उपलब्ध कराया जाएगा. इससे सौर ऊर्जा को स्टोर करके पीक लोड के समय बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी. इसके अलावा, प्रदेश में अनावासीय भवनों जैसे कि सरकारी भवन तथा सभी प्रकार के सरकारी अथवा गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों की छतों पर सोलर रूफटॉप सिस्टम की स्थापना करके 1500 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इस श्रेणी के अनावासीय भवनों की छतों पर स्थापित सोलर रूफटॉप सिस्टम पर भी नेट मीटरिंग की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है.