दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने हाल ही में एक कैंसर पीड़ित महिला का इलाज अनोखी प्रक्रिया से किया. दिल्ली निवासी 55 वर्षीय महिला गॉल ब्लैडर कैंसर से पीड़ित थी. महिला की सर्जरी करना संभव नहीं था. इसलिए, इस मरीज के इलाज के लिए 'क्रायोब्लेशन' के रूप में एक नई टेक्नोलॉजी को चुना गया. इस टेक्नोलॉजी के तहत डॉक्टर्स ने ठंडी गैसों से ट्यूमर को जलाया.
क्या है क्रायोब्लेशन?
क्रायोब्लेशन (cryoablation) अत्यधिक ठंडी गैसों के साथ कैंसर सेल्स को मारने का एक तरीका है. इस प्रक्रिया में एक पतली सुई- जिसे क्रायोप्रोब कहा जाता है का इस्तेमाल होता है. इस सूई को शरीर में कैंसर वाली जगह में रखा जाता है. क्रायोप्रोब कैंसर सेल को जमाने और मारने के लिए तरल नाइट्रोजन जैसी बेहद ठंडी गैस दी जाती है. इस प्रोसेस में लगभग 1.5 से 2 घंटे लगते हैं.
सर्जरी की तुलना में कम जोखिम वाली टेक्नोलॉजी
ये सुरक्षित है और इसमें शामिल जोखिम आमतौर पर सर्जरी की तुलना में कम होते हैं. क्रायोब्लेशन का एक अतिरिक्त लाभ यह है कि यदि आवश्यक हो तो इसे दोहराया जा सकता है. सामान्य तौर पर क्रायोब्लेशन का इस्तेमाल फेफड़ों, गुर्दे, हड्डी, लीवर सहित कई तरह के कैंसर के इलाज के लिए भी किया जा सकता है.
टेक्नोलॉजी महंगी है
इसके लेकर इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन डॉ. अरुण गुप्ता बताते हैं कि हमने इस मरीज के लिए उत्तर भारत में पहली बार क्रायोब्लेशन को चुना क्योंकि कैंसर अपेक्षाकृत बड़ा था और लिवर धमनियों और दूसरी महत्वपूर्ण संरचनाओं के बहुत करीब था. क्रायोब्लेशन ने कैंसर को पूरी तरह से खत्म कर दिया. हालांकि, ये टेक्नोलॉजी महंगी है. जिसका सबसे बड़ा कारण है कि ये नई है.