Ioncology AI and Cancer Treatment: जल्द AI की मदद से होगा कैंसर का इलाज! ब्रेस्ट से लेकर ओवेरियन और ब्लड कैंसर का लगेगा पता  

ऑन्कोलॉजिस्ट अपने रोगियों के लिए सही थेरेपी चुनने में परेशानी का सामना करते हैं. लेकिन ioncology AI की मदद से डॉक्टर ट्रीटमेंट प्लान्स कर सकते हैं. इसका उद्देश्य कैंसर रोगियों के लिए सबसे प्रभावी थेरेपी की पहचान करने में डॉक्टरों की सहायता करना है.

Cancer
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST
  • AI की मदद से डॉक्टर कर सकते हैं ट्रीटमेंट प्लान 
  • 75 प्रतिशत सटीक है ये मेथड 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हर फील्ड में किया जा रहा है. मेडिकल फील्ड भी इससे अछूता नहीं है. हाल ही में दिल्ली के AIIMS में शोधकर्ताओं ने कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए AI की मदद ली है. उन्होंने इसके लिए सुपरकंप्यूटर और एआई की मदद ली है. ऑन्कोलॉजी एआई (ioncology AI) का उद्देश्य कैंसर रोगियों के लिए सबसे प्रभावी थेरेपी की पहचान करने में डॉक्टरों की सहायता करना है. इसकी मदद से कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए सबसे सटीक थेरेपी चुनी जा सकेगी.

AI की मदद से डॉक्टर कर सकते हैं ट्रीटमेंट प्लान 

आमतौर पर ऑन्कोलॉजिस्ट अपने रोगियों के लिए सही थेरेपी चुनने में परेशानी का सामना करते हैं. हालांकि, पुणे में एक सुपर कंप्यूटर से चलने वाले ioncology AI की मदद से अब डॉक्टर ट्रीटमेंट प्लान्स कर सकेंगे. इतना ही नहीं रोगी की बीमारी को और भी बेहतर तरीके से समझ सकेंगे. उदाहरण के लिए, ब्रेस्ट कैंसर के रोगी के लिए, एआई समान जेनेटिक प्रोफाइल वाले व्यक्तियों के लिए थेरेपी के जो रिजल्ट आए हैं उनके हिसाब से विश्लेषण कर सकता है. इससे डॉक्टरों को समय पर और सटीक ट्रीटमेंट चुनने में मदद मिल सकती है. 

क्या है इसका उद्देश्य?

ऑन्कोलॉजी AI पहल का लक्ष्य वर्तमान में एम्स में इलाज करा रहे 3,000 कैंसर रोगियों के जीनोम को सीक्वेंस करना है. इस प्रोजेक्ट की मदद से रोगियों के जेनेटिक कम्पोजीशन और अलग-अलग कैंसर ट्रीटमेंट की प्रभावशीलता के बीच के रिलेशन को देखना है. जीनोमिक डेटा का इस्तेमाल करके, शोधकर्ताओं का लक्ष्य इससे अलग-अलग जानकारी लेना है. साथ ही ये भी देखना है कि आखिर बीमारी कितनी जल्दी बढ़ रही है या फिर ये रोगी को कैसे प्रभावित कर सकती है? या फिर इसके लिए कौन सा ट्रीटमेंट ज्यादा प्रभावी है?

75 प्रतिशत सटीक है ये मेथड 

शुरुआती परिणाम काफी आशाजनक रहे हैं. क्लीनिकल डाइग्नोस की चलने में एआई मॉडल से जो जांच की गई वो 75% से ज्यादा सटीक है. इस प्रोजेक्ट के प्रमुख डॉ. अशोक शर्मा के मुताबिक, समय के साथ ये सटीकता और भी बढ़ेगी. एआई-वाला ये प्लेटफॉर्म मौजूदा समय में कई राज्यों के जिला-स्तरीय अस्पतालों में वेलिडेशन के दौर से गुजर रहा है. इसे पुणे के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग के सहयोग से बनाया गया है. 

फिलहाल 5 कैंसर पर केंद्रित है 

ऑन्कोलॉजी एआई प्लेटफॉर्म ब्लड चेकअप से लेकर लैब रिपोर्ट और इमेजिंग स्कैन सहित मरीजों के क्लीनिकल ​​​​डेटा का विश्लेषण करके निर्णय लेने में डॉक्टरों की मदद करता है. ये योजना फिलहाल पांच तरह के कैंसर पर केंद्रित है. जिसमें ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन, सिर और गर्दन, कोलोरेक्टल और कुछ ब्लड कैंसर शामिल हैं. 

 

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