चंद्रयान-3 मिशन का इंतजार खत्म होने वाला है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को लेकर बड़ा ऐलान किया है. अधिकारियों ने बुधवार को घोषणा की कि 13 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से दोपहर 2:30 बजे चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जा सकता है. यदि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल रहती है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं.
इंडिया की होगी बड़ी कामयाबी
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के मुताबिक, अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी. प्रक्षेपण की तिथि से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, अभी चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण की अंतिम तिथि तय नहीं है. एजेंसी 12 से 19 जुलाई के बीच कोई तिथि तय कर सकती है. हम जल्द से जल्द किसी संभावित तिथि पर विचार कर रहे हैं, यह 12, 13, 14 या 19 जुलाई कोई भी तिथि हो सकती है. उन्होंने कहा कि अभी रॉकेट एकीकरण का काम चल रहा है जो अगले दो से तीन में पूरा हो जाएगा. उसके बाद परीक्षण कार्यक्रम चलेगा. जब सारे परीक्षण पूरे हो जाएंगे, तब प्रक्षेपण की अंतिम तिथि की घोषणा की जाएगी.
चंद्रयान-3 क्या है
चंद्रयान मिशन के तहत इसरो चांद की स्टडी करना चाहता है. भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सफल लॉन्चिग की थी. इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में भारत को असफलता मिली थी. चंद्रयान-2 का लैंडर पृथ्वी की सतह से झटके के साथ टकराया था, जिसके बाद पृथ्वी के नियंत्रण कक्ष से उसका संपर्क टूट गया था. अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करके इतिहास रचने की कोशिश में है.
चंद्रयान-2 का ही अगला प्रोजेक्ट है
चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का ही अगला प्रोजेक्ट है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा. इसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं. यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा. चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है. मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं, एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है और जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने में असफल हुआ, उन पर फोकस किया गया है. चंद्रयान-3 मिशन के चंद्रमा के उस हिस्से तक लॉन्च होने की उम्मीद है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता.
GSLV एमके III से किया जाएगा लॉन्च
चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एमके III से लॉन्च किया जाएगा. यह तीन स्टेज वाला लॉन्च व्हीकल है, जिसका निर्माण इसरो ने किया है. देश के इस सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल को 'बाहुबली' नाम से भी जाना जाता है.
दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा. इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसमें कई अतिरिक्त सेंसर को जोड़ा गया है. इसकी गति को मापने के लिए इसमें एक 'लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर' सिस्टम लगाया है.
चंद्रयान-3 के लैंडर में चार पेलोड हैं
चंद्रयान-3 के लैंडर में चार पेलोड हैं, जबकि छह चक्के वाले रोवर में दो पेलोड हैं. इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल में भी एक स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री पेलोड है जो चंद्रमा के कक्ष से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवमिति माप का अध्ययन करेगा. लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे पेलोड को इस तरह से तैयार किया गया है जिससे कि वैज्ञानिकों को उनकी मदद से चंद्रमा के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिले. प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर को चांद के कक्ष के 100 किलोमीटर तक ले जाएगा. चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर की इस बार भी लैंडर का नाम विक्रम होगा जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है और रोवर का नाम प्रज्ञान होगा.
कुल वजन 3,900 किलोग्राम है
चंद्रयान-3 को एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रणोदन मॉड्यूल को मिलाकर बनाया गया है, जिसका कुल वजन 3,900 किलोग्राम है. अकेले प्रणोदन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है जो लैंडर और रोवर को 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा में ले जाएगा. लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कम्प्लीट कॉन्फिगरेशन को बताता है. रोवर का वजन 26 किलोग्राम है. प्रणोदन मॉड्यूल 758 वाट बिजली, लैंडर मॉड्यूल 738 वाट और रोवर 50 वाट उत्पन्न करेगा.
चंद्रमा की सतह के बारे में मिलेगी जानकारी
चंद्रयान-3 मिशन के साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को भेजा जाएगा, जिससे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की जानकारी मिलने में मदद हो सकेगी. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 का उद्देश्य, चंद्र सतह पर एक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कर रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है. इसके अलावा इंटरप्लेनेटरी मिशन के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना भी इसके अहम उद्देश्य हैं.
इसरो चीफ बोले-हमने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन में हम असफल हुए थे. जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें. चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे. इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत 2047 तक अंतरिक्ष के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र होगा. इसरो प्रमुख भारतीय वायु सेना के 38वें एयर चीफ मार्शल पीसी लाल स्मारक व्याख्यान में यह बात कही.