चंद्रयान-3 के लैंडर से चांद की सतह पर इस तरह उतरा रोवर... देखिए चांद की सतह पर इसरो के निशान बनाते लैंडर का वीडियो

ISRO ने चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम से उतरते प्रज्ञान रोवर का वीडियो जारी किया है. वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे चंद्रयान-3 रोवर लैंडर से चंद्रमा की सतह तक उतरा और इसरो के निशान छोड़े.

Rover on Moon
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

चंद्रयान-3 के साउथ पोल पर उतरते ही रोवर ने चहलकदमी करना शुरू कर दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विक्रम लैंडर से नीचे उतरने और चंद्रमा की सतह पर चलने वाले प्रज्ञान रोवर का वीडियो जारी किया है जिसका सभी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. इसरो ने एक ट्वीट में वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "...और यहां बताया गया है कि चंद्रयान-3 रोवर लैंडर से चंद्रमा की सतह तक कैसे पहुंचा." वीडियो में देखा जा सकता है कि टचडाउन से ठीक पहले विक्रम लैंडर को चांद कैसा दिखा.

लैंडर विक्रम के सभी पेलोड्स का स्विच ऑन कर दिया गया है. ISRO ने कहा जानकारी दी कि सभी पेलोड्स अपना-अपना काम कर रहे हैं. इसरो का कहना है कि चंद्रमा की सतह पर कई चीजें हैं जिनका अंतरिक्ष यान पहली बार अनुभव करेगा, विशेष रूप से चंद्रमा की धूल और तापमान जो चलते भागों को प्रभावित कर सकते हैं. चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने का यह भारत का तीसरा प्रयास था. आखिरी चंद्रयान-2 को सितंबर 2019 में चंद्रमा पर लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आंशिक विफलता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.

चार चरणों में हुई लैंडिंग
चंद्रयान-3 की उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि कोई भी अन्य अंतरिक्ष यान चंद्रमा के साउथ पोल के पास सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया है. साउथ पोल पिछले मिशनों द्वारा लक्षित भूमध्यरेखीय क्षेत्र से बहुत दूर है जिसमें क्रू अपोलो लैंडिंग भी शामिल है जोकि गड्ढों और गहरी खाइयों से भरा है.चंद्रयान-3 की लैंडिंग चार चरणों में की गई- रफ ब्रेकिंग, एल्टीट्यूड होल्ड, फाइन ब्रेकिंग और वर्टिकल डिसेंट. ये सभी बिल्कुल सटीक तरीके से हुए.

क्या काम करेगा 'प्रज्ञान'?
रोवर में दो पेलोड लगे हैं. इसमें पहला ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’है जो चांद की सतह पर मौजूद रसायनों की मात्रा की जानकारी निकालकर खनिजों की खोज करेगा. दूसरा पेलोड ‘अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ है जो तत्वों की बनावट का जांचेगा और मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकान, पोटैशियम, कैल्शियम, टिन, लोहे के बारे में पता लगाएगा. रोवर डेटा जमा करेगा और इसे लैंडर को भेजेगा. लैंडर विक्रम इस डेटा को पृथ्वी तक पहुंचाएगा. डेटा पहुंचाने में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की भी मदद ली जाएगी. इस अभियान के तहत चंद्रमा की सतह पर भूकंपीय गतिविधि का पता लगाने का भी प्रयास किया जाएगा. इसके अलावा, इलैक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों से जुड़ी स्टडी भी की जाएगी.

 

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