करीब 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 04 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने जा रहा है. अगर ये मिशन कामयाब रहा तो चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला हिंदुस्तान दुनिया का पहला देश बन जाएगा. लिहाजा, दुनियाभर की नजरें इस वक्त भारत के चंद्रयान-3 पर टिकी हुई हैं.
आखिरी के 15 मिनट खुद से काम करेगा लैंडर
पृथ्वी से 3 लाख 84 हजार किलोमीटर दूर चांद पर विक्रम लैंडर की लैंडिंग इतनी आसान नहीं होने वाली है क्योंकि, चांद पर लैंडर की लैंडिंग के वक्त इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता. इसीलिए विक्रम लैंडर को खुद से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए प्रोग्राम किया गया है. इसरो के वैज्ञानिक आज शाम 5 बजकर 47 मिनट से लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू करेंगे. जो भारत के मून मिशन के सबसे अहम अंतिम 15 मिनट होंगे.
ISRO ने अपने बयान में कहा कि चंद्रयान-3 के सभी सिस्टम ठीक से काम कर रहे हैं. 5:44 बजे जैसे ही लैंडर सही पोजिशन पर आएगा, टीम ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस (ALS) लॉन्च कर देगी.
आखिरी के 15 मिनट...15 मिनट्स ऑफ टेरर
लैंडिंग के वक्त लैंडर चंद्रमा की सतह से 30 किमी की ऊंचाई पर होगा और धीरे-धीरे स्पीड कम करते हुए लैंडर पहले 7.5 किलो मीटर पर आएगा. इसके बाद फिर 6.8 किलो मीटर नीचे आएगा. लैंडिंग की इस प्रक्रिया के दूसरे चरण में लैंडर 800 मीटर से 150 मीटर और यहां से 30 मीटर और फिर आखिरी 10 मीटर तक रफ्तार कम करेगा. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 15 मिनट 21 सेकंड का वक्त लगेगा. ये वो वक्त है जो सबसे अहम है. वैज्ञानिक इसे 15 मिनिट्स ऑफ टेरर कह रहे हैं.
आखिरी 15 मिनटों को बारीकी से मॉनिटर करेंगे वैज्ञानिक
हालांकि इसरो सेंटर में वैज्ञानिक 15 मिनट्स ऑफ टेरर के सेकेंड दर सेकेंड को बारीकी से मॉनिटर कर रहे होंगे. देश उन वैज्ञानिकों की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है. इससे पहले चांद पर उतरने इस कोशिश में बीते दिनों रूस का लूना-25 नाकाम हो चुका है. ऐसे में चंद्रयान-3 की कामयाबी दुनिया के लिए बेहद खास है. बता दें, चंद्रयान 3 को 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था.
लैंडिंग के बाद क्या होगा?
लैंडर के चांद पर उतरते ही रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर इससे चांद की सतह पर आएगा.
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान एक-दूसरे की तस्वीरें खींचेंगे और धरती पर भेजेंगे.
इसके बाद प्रज्ञान रोवर चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ेगा.
रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन बिताएगा और चांद की सतह पर मौजूद रासायनिक तत्वों का विश्लेषण करेगा और डेटा इसरो को भेजेगा.