Chandrayaan-3: ISRO ने पूरा किया रिहर्सल, चांद के साउथ पोल पर क्यों उतरने जा रहा है भारत

ISRO ने चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग का रिहर्सल पूरा कर लिया है. 14 जुलाई को दगोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान 3 दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट होगा, जो चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेगा.

14 जुलाई 2023 को चंद्रयान 3 लॉन्च होगा (Photo/Twitter)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:49 AM IST

ISRO ने चंद्रयान 3 का लॉन्चिंग रिहर्सल पूरा कर लिया है. इस दौरान श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से लेकर टेलिमेट्री सेंटर और कम्यूनिकेशन यूनिट्स का जायजा लिया गया. चंद्रयान 3 को 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. ये मिशन भारत समेत पूरी दुनिया के लिए काफी अहम है. क्योंकि पहली बार ऐसा होगा, जब दुनिया का कोई मिशन चांद के साउथ पोल पर होगा.

10 स्टेज में होगी चांद पर लैंडिंग-
चंद्रयान 3 इस बार 10 स्टेज में चांद की सतह तक पहुंचेगा. इसके पहले स्टेज में मिशन का धरती पर होने वाला हिस्सा शामिल होता है. इसमें लॉन्च से पहले का स्टेज, लॉन्च और रॉकेट को स्पेस तक ले जाना और धरती की कक्षाओं में चंद्रयान 3 को आगे बढ़ाना शामिल है. इस दौरान चंद्रयान 3 धरती के चारों तरफ 6 चक्कर लगाएगा. इसके बाद दूसरा फेज शुरू होगा. दूसरे चरण में चंद्रयान 3 को चांद की तरफ भेजने का काम होगा. इसमें चंद्रयान सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की तरफ बढ़ता है. तीसरे फेज में चंद्रयान को चांद की कक्षा में भेजा जाएगा. चौथे चरण में चंद्रयान चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा. 5वें चरण में प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एक-दूसरे से अलग होंगे. छठे चरण में डी-बूस्ट फेज शुरू होगा. 7वें चरण में लैंडिंग की तैयारी शुरू होगी. 8वें चरण में चंद्रयान की लैंडिंग होगी. 9वें चरण में लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंच कर सामान्य हो रहे होंगे. 10वें चरण में प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचना शामिल है.

साउथ पोल पर ही लैंडिंग क्यों-
चांद के साउथ पोल को लेकर लंबे समय से वैज्ञानिकों में दिलचस्पी बनी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि साउथ पोल पर पानी की मौजूदगी की संभावना है. वैज्ञानिकों को अंदाजा है कि हमेशा छाया में रहने वाले चांद के इस इलाके पानी और खनिज होने की संभावना है. पानी की मौजूदगी चांद के साउथ पोल पर भविष्य में इंसान की उपस्थिति के लिए फायदेमंद हो सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस इलाके में अत्याधिक ठंडा तापमान रहता है. इसका मतलब है कि यहां फंसी कोई भी चीज बिना बदलाव के समय के साथ जमी रहेगी. इसलिए इससे सौर मंडल के कई रहस्य से पर्दा उठ सकता है. इस इलाके की सतह ग्रह के निर्माण और गहराई से समझने में भी मदद कर सकती है. इसके साथ ही भविष्य के मिशनों के लिए संसाधन के तौर पर इसके इस्तेमाल की क्षमता का पता चल सकता है.

चांद पर स्पेसक्राफ्ट भेजने वाला चौथा देश बनेगा भारत-
अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही चंद्रमा पर सफलतापूर्वक स्पेसक्राफ्ट उतार पाए हैं. चांद पर अंतरिक्ष यान को लैंड कराने का भारत का ये दूसरा प्रयास है. इससे पहले भारत ने चंद्रयान 2 भेजा था. लेकिन मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो सका था. चंद्रयान 3 में कई बदलाव किए गए हैं. चंद्रयान 3 की लागत 615 करोड़ रुपए आंकी गई है.

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