स्टडी में आए नीम के चमत्कारी गुण सामने, Covid-19 के अलग-अलग वेरिएंट से बचाने में भी कारगर

भारत में हजारों सालों से नीम को एंटी-पैरासिटिक, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. नीम की छाल से मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, स्किन रोग और कई दूसरी बीमारियों के इलाज में मदद होती है.

Study on Neem
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST
  • नीम में होते हैं एंटीवायरल एजेंट और वायरल प्रोटीन
  • कोरोना वायरस संक्रमण को कम करना है उद्देश्य

हमने अक्सर अपनी दादी-नानी को घरों में कहते हुए सुना है कि नीम खाने से सारी बीमारियां खत्म हो जाती हैं. नीम को एक पेड़ के साथ-साथ एक औषधि के रूप में जाना जाता है. शारीरिक बीमारी हो या इम्युनिटी हो ये सभी में कारगर होता है. नीम की टहनी, छाल से लेकर इसके पत्ते और इसके फल सभी औषधि के रूप में इस्तेमाल में आते हैं. अब इसी कड़ी में एक नई स्टडी में सामने आया है कि ये हमें कोरोना वायरस से बचाने में भी कारगर है. 

नीम में होते हैं एंटीवायरल एजेंट और वायरल प्रोटीन  

ये स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलोराडो और कोलकाता की इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च ने मिलकर की है, जो वायरोलॉजी जर्नल में पब्लिश हुई है. नीम में एंटीवायरल एजेंट और कई वायरल प्रोटीन होते हैं. स्टडी के मुताबिक, ये एंटीवायरल एजेंट आसानी से कोविड-19 के अलग-अलग वेरिएंट से हमें बचाने में कारगर हैं. 

दरअसल, भारत में हजारों सालों से नीम को एंटी-पैरासिटिक, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. नीम की छाल से मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, स्किन रोग और कई दूसरी बीमारियों के इलाज में मदद होती है.

कोरोना वायरस संक्रमण को कम करना है उद्देश्य

इस स्टडी को करने वाली न्यूरोलॉजी और ऑप्थैमोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर मरिया नागेल कहती हैं, "इस स्टडी को करने के पीछे का लक्ष्य नीम-आधारित दवा बनाना है, जो किसी कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति को गंभीर होने से बचा सके.”

पेनिसिलिन गोली की तरह ले सकेंगे इसे

प्रोफेसर मरिया नागेल ने आगे कहा, “जैसे हम गले में खराश के लिए पेनिसिलिन लेते हैं, वैसे ही हम कोविड-19 के लिए ये नीम-आधारित दवा ले सकेंगे. इससे हम अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के डर के बिना अपने सामान्य जीवन को फिर से शुरू कर सकेंगे.”

उनके मुताबिक, इस दवाई के बन जाने से हमें हर बार कोरोना वायरस का नया संक्रमण आने पर अलग-अलग वैक्सीन बनाने की जरूरत नहीं होगी.  


 

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