बिना पार्टनर के भी बच्चा पैदा कर सकते हैं Crocodiles, जानिए क्या है 'वर्जिन बर्थ' का कॉन्सेप्ट

'वर्जिन बर्थ' एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे ऐच्छिक पार्थेनोजेनेसिस कहा जाता है. मधुमक्खियों, चींटियों जैसे जानवरों में कोई सेक्स क्रोमोसोम नहीं होता है. ये जीव पार्थेनोजेनेसिस द्वारा प्रजनन करते हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 8:15 PM IST

प्रकृति जहां जीवन छीन सकती है वहीं जीवन दे भी सकती है. और प्रकृति ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि यहां सबकुछ मुमकिन है. एक मादा मगरमच्छ ने फर्टीलाइज अंडे दिए हैं. लेकिन आश्चर्य वाली बात है कि वह मादा पिछले 16 साल से अकेले रह रही थी. फीमेल क्रोकोडाइल द्वारा दिए गए अंडे में मगरमच्छ का भ्रूण पाया गया है जिसका नर के साथ कोई संपर्क नहीं था. पहली बार ऐसा हुआ जब इन जानवरों में वर्जिन बर्थ के साइन मिले.

यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मगरमच्छ बिना संबंध बनाए भी बच्चे पैदा कर सकते हैं और अब उनका कहना है कि डायनासोर भी ऐसा ही कर सकते थे. जूकीपर्स ने पाया कि एक 18 साल की मगरमच्छ 20 फीट तक बढ़ रही थी, अपने बाड़े में 14 अंडों की रखवाली कर रही थी. बावजूद इसके कि वहां दशकों से कोई नर मगरमच्छ नहीं देखा गया.

डायनासोर भी ऐसे ही करते रहे होंगे प्रजनन

अकेले मगरमच्छों के लिए Unfertilised Eggs देना पूरी तरह से असामान्य नहीं है. हालांकि, शोधकर्ताओं को यह जानकर हैरानी हुई कि सात अंडे असल में फर्टिलाइज थे. कुछ अंडे तीन महीने तक फर्टिलाइज नहीं हुए लेकिन एक में पूरी तरह से फीमेल फीटस यानी मादा भ्रूण पाया गया जो लगभग आनुवंशिक रूप से अपनी मां के जैसा ही था. रिसर्च को लीड करने वाले वर्जीनिया टेक के एसोसिएट प्रोफेसर वारेन बूथ के अनुसार, यह खोज डायनासोर सहित 'मगरमच्छ के विलुप्त आर्कोसॉरियन प्रजाति की संभावित प्रजनन क्षमताओं की पेशकश कर सकती है.

मगरमच्छ लगभग 240 मिलियन साल पहले अन्य डायनासोरों से अलग हो गए थे, फिर भी इन प्राचीन मगरमच्छों के पूर्वजों का इतिहास 267 मिलियन साल पुराना है. मगरमच्छ और पक्षी दोनों बिना संभोग के बच्चा पैदा कर सकते हैं. वारेन बूथ का कहना है कि यह क्षमता 'इन वंशों के दूर के पूर्वज के पास होने की संभावना' है, और इनके पूर्वज डायनासोर भी रहे हैं.'

वर्जिन बर्थ कॉन्सेप्ट क्या है

'वर्जिन बर्थ' एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे ऐच्छिक पार्थेनोजेनेसिस कहा जाता है. मधुमक्खियों, चींटियों जैसे जानवरों में कोई सेक्स क्रोमोसोम नहीं होता है. ये जीव पार्थेनोजेनेसिस द्वारा प्रजनन करते हैं. कुछ पौधे, सरीसृप और मछली भी इस तरीके से प्रजनन करने में सक्षम हैं. वैज्ञानिक अब अनुमान लगा रहे हैं कि डायनासोरों की कुछ प्रजातियों में भी वर्जिन बर्थ का गुण रहा होगा. इसमें मादा के शरीर में अंड-कोशिकाएं तैयार होती हैं. इनमें लगातार विभाजन होता रहता है और यह तब तक जारी रहता है जब तक कि एक बच्चे के लिए जरूरी कुल जीन्स में तैयार नहीं हो जाते. हालांकि वर्जिन बर्थ से पैदा हुए बच्चों के बचने की संभावना कम ही होती है.

मगरमच्छ का प्रजनन बाकी जानवरों से अलग

हालांकि इसे 'लॉन्ग टर्म फीमेल स्पर्म स्टोरेज' के जरिए मिसलीड भी किया जा सकता है, जिसमें एक जानवर संभोग के लंबे समय बाद संतान पैदा करने में सक्षम होता है लेकिन शोधकर्ताओं ने यह साबित करने के लिए कि इसमें किसी मेल का योगदान नहीं है, आनुवंशिक विश्लेषण का इस्तेमाल किया. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि मादा मगरमच्छ ने खुद ही अपने अंडों को फर्टिलाइज किया. इस खोज को जो विशेष रूप से दिलचस्प बनाता है, वो ये कि मगरमच्छ का प्रजनन किसी भी अन्य जानवर से काफी अलग है.

 

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