Cryogenic Freezing and Eternal life: मरकर भी फिर से जिंदा हो सकेगा व्यक्ति! क्रायोजेनिक रूप से शरीर को फ्रीज करने का ऑप्शन चुन रहे हैं दुनिया के अरबपति 

क्रायोजेनिक फ्रीजिंग को क्रायोनिक्स के रूप में भी जाना जाता है. इसमें डेड बॉडी को बेहद कम तापमान पर रखा जाता है. साथ ही ये उम्मीद की जाती है कि शरीर बाद में रिवाइव या उसे पुनर्जीवित किया जा सकेगा.

Cryogenic Freezing and Eternal life (Representative Image/Getty Images)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST
  • पहले ही किया जा चुका है एक व्यक्ति को क्रायोप्रिजर्व्ड 
  • एक पॉडकास्ट में किया पीटर ने जिक्र 

जरा सोचिए अगर आप आज से 200 साल बाद भी जिंदा रह पाएं तो? दरअसल, सभी लोग चाहते हैं कि वे लंबे समय तक जिएं. अब इसी लंबे जीवन की तलाश में अमेरिका के कुछ धनी लोगों ने क्रायोजेनिक फ्रीजिंग (cryogenic freezing) की ओर रुख किया है. इस प्रोसेस में उनके शरीर को बेहद कम तापमान पर फ्रीज करके रखा जाता है. इस उम्मीद के साथ कि भविष्य में उन्हें पुनर्जीवित किया जा सकेगा. ऐसे लोगों की लिस्ट में अब अरबपति और पेपाल के को-फाउंडर पीटर थिएल का नाम जुड़ गया है.

एक पॉडकास्ट में किया पीटर ने जिक्र 
बारी वीस (Bari Weiss) के पॉडकास्ट पर हाल ही में एक इंटरव्यू में, पीटर थिएल ने क्रायोजेनिक फ्रीजिंग पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने इसमें अपनी रुचि के बारे में बताया. पीटर ने कहा, "मुझे यकीन नहीं है कि यह काम करता है. लेकिन मुझे लगता है कि हमें इन चीजों को आजमाने की जरूरत है.”

क्रायोजेनिक फ्रीजिंग क्या है?
क्रायोजेनिक फ्रीजिंग को क्रायोनिक्स के रूप में भी जाना जाता है. इसमें डेड बॉडी को बेहद कम तापमान पर रखा जाता है. साथ ही ये उम्मीद की जाती है कि शरीर बाद में रिवाइव या उसे पुनर्जीवित किया जा सकेगा. शब्द "क्रायोनिक्स" ग्रीक शब्द "क्रियोस" से आया है, जिसका मतलब है "बर्फीली ठंड." इस शब्द का जिक्र पहली बार रॉबर्ट एटिंगर ने 1962 में अपनी किताब "द प्रॉस्पेक्ट ऑफ इम्मोर्टालिटी" में किया था. रॉबर्ट एटिंगर फ्रांसीसी बॉयोलोजिट्स जीन रोस्टैंड के काम से काफी प्रभावित थे. और उनका मानना था कि भविष्य में साइंस की मदद से पुनर्जीवन मुमकिन हो सकता है. 

पहले ही किया जा चुका है एक व्यक्ति को क्रायोप्रिजर्व्ड 
कैलिफोर्निया-बर्कले यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के पूर्व प्रोफेसर जेम्स हीराम बेडफोर्ड क्रायोजेनिक फ्रीजिंग से गुजरने वाले पहले व्यक्ति थे. जनवरी 1967 में गुर्दे के कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद  क्रायोजेनिक तकनीकों का उपयोग करके उनके शरीर को संरक्षित किया गया था.

एडवांस क्रायोजेनिक तकनीक
आज, काफी एडवांस क्रायोजेनिक तकनीक आ गई हैं. किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से मृत घोषित किए जाने के बाद, उनके शरीर को बर्फ में पैक किया जाता है और क्रायोनिक्स फैसिलिटी में भेज दिया जाता है. शरीर से खून को बाहर निकाल दिया जाता है, और जरूरी अंगों को बचाने के लिए और बर्फ के क्रिस्टल बनने से रोकने के लिए एंटीफ्रीज सॉल्यूशन इंजेक्ट किए जाते हैं. फिर शरीर को ठंडा किया जाता है और -196 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर लिक्विड नाइट्रोजन से भरे रूम में रखा जाता है. इस प्रक्रिया को विट्रीफिकेशन कहा जाता है. 

क्रायोजेनिक फ्रीजिंग की कितनी लागत आती है 
क्रायोजेनिक प्रिजर्वेशन की लागत अलग-अलग होती है. अमेरिका में डेट्रॉइट के पास क्रायोनिक्स इंस्टीट्यूट पूरे शरीर के प्रिजर्वेशन के लिए $28,000 (लगभग 23,38,000 रुपये) लगते हैं. जबकि अल्कोर लाइफ एक्सटेंशन फाउंडेशन लगभग $200,000 (लगभग 1,67,00,000 रुपये) लेता है. जो लोग ज्यादा किफायती ऑप्शन चुनना चाहते हैं, उनके लिए केवल दिमाग को प्रिजर्व करने की लागत लगभग $80,000 (लगभग 66 लाख रुपये) है.

 

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