Delhi's first Bilateral Hand Transplant: शख्स ने ट्रेन हादसे में खो दिए थे दोनों हाथ, डॉक्टरों ने ऑपरेशन से जोड़कर दिया नया जीवनदान  

अस्पताल में राजकुमार की बाई लेटरल सर्जरी की गई. सबसे संतोषजनक ये रहा कि सर्जरी सफल रही और अब वो रिकवर हो गए हैं. न ही उनको किसी तरह का इन्फेक्शन हुआ है और न ही कोई परेशानी. ये हाथ अब उनके शरीर का हिस्सा हैं. राजकुमार कि ये सर्जरी सिर्फ एक ऑपरेशन भर नहीं है, बल्कि ये दिल्ली की पहली बाइलेटरल सर्जरी है. ये सर्जरी भविष्य में मेडिकल की दुनिया में आने वाली कई संभावनाएं और आशाओं को जन्म देता है.

Delhi's first Bilateral Hand Transplant
नीतू झा
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 7:17 PM IST
  • अस्पताल में मिला नया जीवन 
  • ट्रेन हादसे में चले गए थे दोनों हाथ 

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल ने एक शख्स को नया जीवन दिया है. यूं तो कई दफा आपने खबरें पढ़ी होगी कि अस्पताल में मरीज को नया जीवन मिला, लेकिन सोचिए एक शख्स जिसने ट्रेन हादसे में अपने दोनों हाथ खो दिए, एक ऐसा बुरा हादसा जिसने उस शख्स कि जिंदगी को बदल दिया. उसके सपनो को तोड़ दिया और जीने की आस भी नजर नहीं आ रही थी इस बीच भगवान का रूप कहे जाने वाले धरती के भगवान यानी डॉक्टरों ने एक करिश्मा कर दिया और उस शख्स को उसके दोनों हाथ लौटा दिए. ये साहस भरी कहानी दिल्ली के एक शख्स की है जिनका नाम राजकुमार है.

ट्रेन हादसे में चले गए थे दोनों हाथ 

नांगलोई में रहने वाले राजकुमार की उम्र महज 45 साल है, लेकिन एक ट्रेन दुर्घटना ने इनकी पूरी जिंदगी को बदल दिया. ट्रेन हादसे में राजकुमार ने अपने दोनों हाथ खो दिए, ये वही हाथ थे जिससे राजकुमार अपने परिवार के लिए 2 जून की रोटी का बंदोबस्त कर रहे थे. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने की वजह से उनका घर परिवार तो बिखरने ही लगा, साथ ही रोजमर्रा के सभी कामों के लिए राजकुमार दूसरों पर निर्भर रहने लगे थे. 

अस्पताल में मिला नया जीवन 

अस्पताल जाने के बाद राजकुमार को नया जीवन तो मिल गया था लेकिन उनके पास सामान्य जीवन जीने के केवल 2 ही विकल्प बचे थे. या तो वे प्रोस्थेटिक्स का उपयोग कर सकते थे या डॉक्टर उनके हाथों का ट्रांसप्लांट कर सकते थे. हाथों के ट्रांसप्लांट के बारे में बिना सोचे हुए राजकुमार ने पहले प्रोस्थेटिक्स का उपयोग करना शुरू किया, लेकिन ये ट्रायल सफल नहीं रहा. जिसके बाद उनके पास हाथों के ट्रांसप्लांट (bilateral hand transplant) का ही एकमात्र विकल्प बचा. ऐसे में राजकुमार को नए हाथ तो दिए जा सकते थे लेकिन दिल्ली के किसी अस्पताल में अब तक ऐसी सर्जरी हुई नहीं थी.  

लेकिन साल 2023 में सर गंगा राम अस्पताल को हाथ ट्रांसप्लांट करने की अनुमति मिल गई, जिसके बाद अस्पताल राजकुमार के लिए संभावित हाथों की तलाश करने लगे.

ये दिल्ली की पहली बाइलेटरल सर्जरी है

राजकुमार की तलाश पर विराम तब लगा जब अस्पताल में एक ब्रेन डेड महिला के परिवार ने मानवता का परिचय देते हुए उनके अंगों को दान करने का फैसला लिया. न सिर्फ उनके अंगों को दान किया गया बल्कि उनके हाथ राजकुमार के लिए भी नया जीवन लेकर आए. इसके बाद अस्पताल में राजकुमार की बाईलेटरल सर्जरी (bilateral surgery) की गई. सबसे संतोषजनक ये रहा कि सर्जरी सफल रही और अब वो रिकवर हो गए हैं. न ही उनको किसी तरह का इन्फेक्शन हुआ है और न ही कोई परेशानी. ये हाथ अब उनके शरीर का हिस्सा हैं. राजकुमार की ये सर्जरी सिर्फ एक ऑपरेशन भर नहीं है, बल्कि ये दिल्ली की पहली बाइलेटरल सर्जरी है. ये सर्जरी भविष्य में मेडिकल की दुनिया में आने वाली कई संभावनाएं और आशाओं को जन्म देता है.


 

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