अगर हम आपसे कहें कि आपकी कार नींबू, मक्का और बादाम से बनी है, तो क्या आप हमारी बात पर यकीन करेंगे? शायद नहीं. लेकिन अगर हम फिर भी कहें कि यह संभव है तो? जी हां, क्योंकि ऐसा अब संभव हो रहा है.
यूरोपीय वैज्ञानिकों ने नींबू के छिलके, मकई स्टार्च, बादाम के शैल और अनार के छिलके जैसे फूड और फार्म वेस्ट का उपयोग करके हाई-परफर्मेंस कार पार्ट्स का निर्माण करने में कामयाबी हासिल की है. और बताया जा रहा है कि ये नए कार पार्ट्स, पुराने पार्ट्स की तुलना में बेहतर हैं.
BARBARA प्रोजेक्ट के तहत हुई रिसर्च
दरअसल, यूरोपियन यूनियन और निजी सेक्टर के बीच एक पार्टनरशिप हुई थी जिसे BARBARA प्रोजेक्ट के नाम से जानते हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत यह रिसर्च और डेवलपमेंट की गई है. इन फूड वेस्ट से पहले बायोपॉलिमर्स को निकाला गया और इनके साथ 3डी प्रिंटिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए, आठ प्रकार मेटेरियल बनए गए जिनका उपयोग ऑटोमोबाइल में मौजूदा प्लास्टिक के स्थान पर किया जा सकता है.
इन नए मेटेरियल्स ने अलग-अलग कलर, सुगंध (एरोमा), टेक्सचर्स और यहां तक कि एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज का प्रदर्शन किया, और इन्हें डोर ट्रिम्स और डैशबोर्ड पैनल को प्रिंट करने के लिए उपयोग किया गया. दिलचस्प बात यह है कि इन मेटेरियल्स ने पहले मेटेरियल्स की तुलना में बेहतर मैकेलिकल और थर्मल क्वालिटी दिखाई. साथ ही, एक खुशबू भी जोड़ी.
कार्बन एमिशन होगा कम
प्रोजेक्ट में शामिल कंपनियों में से एक, Aitiip के रिसर्च डायरेक्टर, बर्टा गोंजाल्वो ने बिजनेस इनसाइडर को बताया कि सबसे अच्छी बात यहा है कि इस प्रोसेस में कोई अवशेष नहीं हैं, केवल संसाधन हैं. उन्होंने कहा कि ऑटोमोटिव और कंस्ट्रक्शन पीस को सफलतापूर्वक वेलिडेट किया गया है. इससे यह साबित होता है कि सर्कुलर इकोनॉमी मुमकिल है और यब पर्यावरण के अनुकूल भी है.
ऐसी तकनीकों को अपनाने से प्रोडक्ट सायकल से वेस्ट को कम करने, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है.
फूड वेस्ट का सही इस्तेमाल
जैसा कि हम जानते हैं कि पूरी दुनिया में खाने की समस्या है. उदाहरण के लिए, यूरोप में लगभग छह करोड़ टन फूड वेस्ट जनरेट होता है, और इसमें से बहुत कम घरेलू रूप से रिसायक्लिंग में जाता है. यह बहुत ही चिंता का विषय है. लेकिन ग्लोबल बायोपॉलिमर इंडस्ट्री 6% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है और यह कचरे का सर्वोत्तम उपयोग करने का उपयुक्त समय है.
BARBARA के प्रतिभागियों को उम्मीद है कि प्रोजेक्ट अगले चार से पांच सालों में डेमोन्स्ट्रेशन फेज में आगे बढ़ सकती है. अगर चीजें अच्छी तरह से चलती हैं, तो इसके बाद बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकेगा और फिर हमारी कारें थोड़ी फ्रूटी हो जाएंगी.